क्या जैसलमेर में विजयादशमी पर बीएसएफ ने शस्त्र पूजन कर दुश्मन को कड़ा संदेश दिया?

सारांश
Key Takeaways
- विजयादशमी पर बीएसएफ का शस्त्र पूजन भारतीय संस्कृति का प्रतीक है।
- बीएसएफ ने दुश्मनों को यह संदेश दिया कि सीमा में सेंध लगाना असंभव है।
- जवानों ने मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त किया।
- ऑपरेशन सिंदूर ने सुरक्षा बलों की क्षमता को प्रदर्शित किया।
- स्थानीय निवासियों ने बीएसएफ के समर्पण की सराहना की।
जैसलमेर, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत-पाक सीमा पर जैसलमेर में विजयादशमी के अवसर पर बीएसएफ की तोपखाना रेजिमेंट ने विधिपूर्वक शस्त्र पूजन किया। इस दौरान सुरक्षा बल ने यह स्पष्ट किया कि वे देश की सीमा पर किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूर्णतः तैयार हैं।
इस अवसर पर जवानों ने मां दुर्गा और उनकी योगिनी जया-विजया का स्मरण करते हुए अपने हथियारों पर पुष्प अर्पित किए। यह परंपरा भारतीय संस्कृति में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जो कि सेना और सुरक्षा बलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जैसलमेर के रेगिस्तानी क्षेत्र में, बीएसएफ का परिसर सुबह से ही देशभक्ति के नारों से गूंजता रहा। जवानों ने पारंपरिक वेशभूषा में मां दुर्गा की पूजा की, क्योंकि मान्यता है कि युद्ध में विजय पाने के लिए उनका आशीर्वाद आवश्यक है। इसके बाद सभी प्रकार के शस्त्रों को गंगाजल से शुद्ध किया गया।
बाद में, हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाकर और पुष्प अर्पित कर हथियारों को सलामी दी गई। मंत्रोच्चार और आरती के बीच, जवानों ने “भारत माता की जय” और “बीएसएफ जिंदाबाद” के नारे लगाए, जिससे माहौल में उत्साह बढ़ गया।
यह आयोजन केवल शस्त्र पूजन तक ही सीमित नहीं था। बीएसएफ की यह रेजिमेंट हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के कारण चर्चा में रही, जिसने पाकिस्तान की घुसपैठ और नापाक हरकतों को असफल किया। बीएसएफ ने भारतीय सेना के साथ मिलकर दुश्मन की कई चौकियों को ध्वस्त किया।
इस ऑपरेशन में जवान बिना आराम के मोर्चे पर डटे रहे, जिससे भारत की संप्रभुता की रक्षा हुई। जैसलमेर का रेगिस्तानी क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और बीएसएफ की चौकसी ने दुश्मन को यह संदेश दिया कि सीमा में सेंध लगाना असंभव है।
बीएसएफ के अधिकारी ने बताया कि तोपखाना रेजिमेंट आधुनिक हथियारों, ड्रोन, नाइट विजन कैमरों और रडार सिस्टम से लैस है। यह केवल सीमा की रक्षा करने वाला नहीं, बल्कि युद्ध की अग्रिम पंक्ति का योद्धा है। विजयादशमी का यह शस्त्र पूजन और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता यह दर्शाते हैं कि बीएसएफ हर स्थिति में सक्षम है। जवानों ने संकल्प लिया कि वे मातृभूमि की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।
स्थानीय निवासियों ने बीएसएफ की इस ताकत और समर्पण की सराहना की। यह आयोजन न केवल परंपरा को जीवित रखता है, बल्कि देशवासियों को विश्वास दिलाता है कि हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं।