क्या जलपाईगुड़ी में भारत बंद का असर देखने को मिला?

सारांश
Key Takeaways
- जलपाईगुड़ी में भारत बंद का प्रभाव स्पष्ट देखा गया।
- पुलिस ने सात प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।
- बंद का समर्थन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा किया गया।
- स्थानीय जनजीवन पर बंद का असर पड़ा।
- राहुल गांधी ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया।
कोलकाता, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के मतदाता पुनरीक्षण के विरोध में 9 जुलाई को विपक्ष द्वारा 'चक्का जाम' आंदोलन किया गया। इसका प्रभाव पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में सुबह से ही स्पष्ट दिखाई दिया। स्थिति बिगड़ने से पहले पुलिस ने सात प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर कोतवाली थाने भेज दिया।
बुधवार सुबह से जलपाईगुड़ी में भारत बंद को लेकर तनावपूर्ण माहौल बना रहा। बंद समर्थक शहर के प्रमुख स्थानों पर एकत्रित हो गए। बस स्टैंड, पोस्ट ऑफिस और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों ने बस सेवाओं को रोकने का प्रयास किया, जिसके कारण स्थानीय स्तर पर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।
स्थिति बिगड़ने से पहले पुलिस ने बंद समर्थकों को चारों ओर से घेर लिया और सात प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर कोतवाली थाने ले जाया गया।
बंद का असर कुछ समय के लिए दैनिक जनजीवन पर भी देखने को मिला। एक स्थानीय महिला ने कहा, "मैं स्कूल में काम करती हूं, और अब वहां जा रही हूं। स्कूल बंद है, लेकिन सरकारी बस चलेगी। मैं इसी भरोसे पर घर से निकली थी।"
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की छात्र इकाई एसएफआई और युवा इकाई डीवाईएफआई के कार्यकर्ता शांतीपाड़ा स्थित नॉर्थ बंगाल स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन डिपो पर जुटे। यह स्थान जलपाईगुड़ी से लंबी दूरी की बस सेवाओं के लिए एक प्रमुख केंद्र है।
बंद को लेकर सीपीआई(एम) जलपाईगुड़ी जिला नेता प्रदीप डे ने कहा, "हमारे कार्यकर्ता अलग-अलग स्थानों पर भारत बंद के समर्थन में सड़क पर उतरे हैं। यह बंद लोगों की जायज मांगों के समर्थन में बुलाया गया है और हमें जनता से समर्थन मिल रहा है।"
प्रदीप डे ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा, "राज्य सरकार बंद को विफल करने के लिए पुलिस बल का इस्तेमाल कर रही है ताकि भाजपा को खुश किया जा सके। कई स्थानों पर पुलिस ने जबरन बल का प्रयोग करने की कोशिश की है।"
वहीं, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी 9 जुलाई (बुधवार) को बिहार की राजधानी पटना में महागठबंधन के 'चक्का जाम' आंदोलन का नेतृत्व करेंगे, जो विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण यानी एसआईआर के खिलाफ है।