क्या जलवायु परिवर्तन ने संघर्षों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है?

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क्या जलवायु परिवर्तन ने संघर्षों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है?

सारांश

क्या जलवायु परिवर्तन ने संघर्षों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है? एक नई रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि कैसे बारिश के बदलते पैटर्न और तूफान समाज में बढ़ते संघर्षों का कारण बन रहे हैं। जानें इस मुद्दे के पीछे की सच्चाई और इसके प्रभाव।

Key Takeaways

  • जलवायु परिवर्तन से संघर्षों में वृद्धि हो रही है।
  • बदलते बारिश के पैटर्न का सामाजिक प्रभाव है।
  • प्राकृतिक आपदाएँ मानव प्रवासन को प्रभावित कर रही हैं।
  • जलवायु अस्थिरता संसाधन संघर्ष को बढ़ा रही है।
  • समझौतों के माध्यम से सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिया जा सकता है।

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। धरती का मौसम अब इंसानों के लिए केवल चर्चा का विषय नहीं, बल्कि एक गंभीर चुनौती बन गया है। विजन ऑफ ह्यूमैनिटी द्वारा जारी एक रिपोर्ट ने इस मुद्दे पर गहरा प्रकाश डाला है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि बदलते बारिश के पैटर्न और बढ़ते तूफान अब समाज में संघर्षों का कारण बन रहे हैं।

इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस द्वारा की गई नई रिसर्च से यह स्पष्ट होता है कि बारिश के बदलते पैटर्न ने दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। 2025 की इकोलॉजिकल थ्रेट रिपोर्ट (ईटीआर) में बताया गया है कि जिन क्षेत्रों में बारिश का पैटर्न असामान्य है, वहां मृत्युदर उन इलाकों की तुलना में कहीं अधिक है जहाँ बारिश का वितरण संतुलित है।

तूफान मेलिसा इसका एक ताजा उदाहरण है, जिसने कैरेबियन और मध्य अमेरिका के कई हिस्सों में तबाही मचाई है। मौसम विज्ञानी इसे “क्लाइमेट डिस्टर्बेंस चेन” का हिस्सा मानते हैं—जहां एक तूफान केवल तबाही नहीं लाता, बल्कि दीर्घकालिक सामाजिक और आर्थिक संकट की नींव भी रखता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बारिश और तूफानों का यह असंतुलन केवल एक पर्यावरणीय समस्या नहीं है, बल्कि एक “कंफ्लिक्ट कैटेलिस्ट” बन चुका है। जब बारिश समय पर नहीं होती या अत्यधिक होती है, तो फसलें बर्बाद होती हैं, पानी की कमी बढ़ती है, और लोग जीविका की तलाश में पलायन करने लगते हैं। यह पलायन कई स्थानों पर जातीय या सीमा आधारित संघर्षों का कारण बनता है।

इसके अलावा, रिपोर्ट संघर्षों से होने वाली मौतों पर भी प्रकाश डालती है। यह दर्शाती है कि जिन क्षेत्रों में वेट और ड्राई मौसम चरम पर होता है, वहां संघर्षों में मौतों की संख्या चार गुना अधिक होती है, जबकि कम चरम मौसम वाले क्षेत्रों में यह आंकड़ा कम होता है। 2024 में, प्राकृतिक आपदाओं के कारण 163 देशों में 45 मिलियन लोग कुछ समय के लिए अपने घरों से विस्थापित हुए, जो 2008 के बाद सबसे अधिक है।

इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस की तैयार ईटीआर में 172 देशों को शामिल किया गया है, जो दुनिया की 99 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2019 और 2024 के बीच, ईटीआर स्कोर 96 देशों में खराब हुए जबकि 74 देशों में यह बेहतर हुए।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में संघर्ष सीधे पानी और भूमि संसाधनों से जुड़े रहे हैं, और जलवायु अस्थिरता ने इन विवादों को और बढ़ावा दिया है।

यूनीसेफ की रिपोर्ट भी इस बात की पुष्टि करती है कि यदि मौसम का बदलाव जारी रहा, तो 2030 तक 70 करोड़ लोग पानी की कमी से जूझेंगे। 2040 तक, लगभग 4 में से 1 बच्चा ऐसे क्षेत्रों में रहेगा जहां जल की अत्यधिक कमी होगी, जिससे समस्याएं बढ़ेंगी।

इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस की रिपोर्ट में उपाय और सुधार की सम्भावनाओं पर भी चर्चा की गई है। यह कहती है कि एक स्थापित धारणा “पानी के युद्धों” के बारे में है, खासकर दो देशों की सीमाओं से गुजरने वाली नदियों और झीलों के बेसिन के संदर्भ में, लेकिन ईटीआर इसे पूरी तरह से सही नहीं मानती। इनके अनुसार, नदियों को लेकर झगड़े हुए हैं, लेकिन आधुनिक समाज में पानी के लिए कोई युद्ध नहीं लड़ा गया है। कुछ समझौते हुए हैं, जो एक सीख के रूप में कार्य करते हैं और ये समझौते देशों को मिलकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

Point of View

यह देखना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि जलवायु परिवर्तन केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक संघर्षों का भी कारण बन रहा है। हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए और इसके प्रभावों को समझकर उचित कदम उठाने चाहिए।
NationPress
29/10/2025

Frequently Asked Questions

जलवायु परिवर्तन के कारण क्या हैं?
जलवायु परिवर्तन के कारणों में मानवीय गतिविधियाँ, जैसे औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई, और जीवाश्म ईंधनों का उपयोग शामिल हैं।
क्या जलवायु परिवर्तन से संघर्ष बढ़ते हैं?
हां, जलवायु परिवर्तन से पानी और भूमि संसाधनों की कमी होती है, जो संघर्षों को बढ़ावा देती है।
क्या हम जलवायु परिवर्तन को रोक सकते हैं?
हां, अगर हम सामूहिक प्रयास करें, जैसे नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग और पर्यावरण संरक्षण।