क्या जमाल सिद्दीकी की मांग से एमएलसी वोटर लिस्ट में कामिल-फाजिल डिग्री धारकों को शामिल करने में रुकावट आएगी?

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क्या जमाल सिद्दीकी की मांग से एमएलसी वोटर लिस्ट में कामिल-फाजिल डिग्री धारकों को शामिल करने में रुकावट आएगी?

सारांश

जमाल सिद्दीकी ने सीएम योगी को पत्र लिखकर कामिल और फाजिल डिग्री धारकों को एमएलसी मतदाता सूची में शामिल करने की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की है। इस पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का क्या असर होगा, जानें।

Key Takeaways

  • जमाल सिद्दीकी ने योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है।
  • कामिल और फाजिल डिग्री धारकों को एमएलसी वोटर लिस्ट में शामिल करने की प्रक्रिया चल रही है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने इन डिग्रियों को असंवैधानिक घोषित किया है।
  • यह प्रक्रिया 5 नवंबर तक जारी रहेगी।
  • ग्रेजुएट निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से डिग्री होना अनिवार्य है।

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। उन्होंने कामिल और फाजिल डिग्री धारकों को विधान परिषद (एमएलसी) मतदाता सूची में शामिल करने की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की है।

जमाल सिद्दीकी ने पत्र में कहा कि कामिल और फाजिल डिग्री धारकों को विधान परिषद (एमएलसी) वोटर लिस्ट में शामिल करने की प्रक्रिया चल रही है, जो 5 नवंबर तक जारी रहेगी।

उन्होंने बताया कि मदरसा द्वारा जारी इन डिग्रियों को मान्यता देकर इन्हें (एमएलसी) चुनाव में मतदाता बनने और चुनाव में भाग लेने के लिए योग्य घोषित किया जा रहा है। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है, क्योंकि कामिल (स्नातक) और फाजिल (स्नातकोत्तर) डिग्रियां पारंपरिक मदरसा शिक्षा प्रणाली से संबंधित हैं, जो आधुनिक विश्वविद्यालय शिक्षा के मानकों के अनुरूप नहीं हैं।

जमाल सिद्दीकी ने आगे कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 5 नवंबर 2024 को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड एक्ट 2024 की वैधता को तो बरकरार रखा, लेकिन इसके उच्च शिक्षा से संबंधित प्रावधानों (कामिल और फाजिल डिग्रियों) को असंवैधानिक घोषित कर दिया।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये डिग्रियां (जिन्हें स्नातक और स्नातकोत्तर के समकक्ष माना जाता था) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम के साथ टकराव में हैं, क्योंकि यूजीसी ही उच्च शिक्षा के मानकों को नियंत्रित करता है। इस निर्णय से ये डिग्रियां अमान्य हो गई हैं और इन्हें ग्रेजुएट के रूप में मान्यता देना विधायी प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ होगा।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद अधिनियम, 1961 की धारा 6(3) के अनुसार, ग्रेजुएट निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्री होना अनिवार्य है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में कामिल और फाजिल कोर्स यूजीसी मान्यता प्राप्त स्नातक डिग्री के समकक्ष नहीं रह गए हैं।

जमाल सिद्दीकी ने कहा कि मैं विनम्रता पूर्वक अनुरोध करता हूं कि सर्वोच्च न्यायालय के 5 नवंबर 2024 के फैसले के अनुपालन में कामिल और फाजिल डिग्री धारकों को (एमएलसी) ग्रेजुएट मतदाता सूची में शामिल करने की प्रक्रिया पर तात्कालिक रोक लगाई जाए।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मुद्दे को सही दृष्टिकोण से समझें। चुनावी प्रक्रिया में सभी को समान अवसर मिलना चाहिए, लेकिन यह भी आवश्यक है कि जो योग्य हैं, उन्हें ही मान्यता दी जाए। यह मामला सामाजिक और शैक्षणिक मानकों के बीच संतुलन बनाने का है।
NationPress
23/10/2025

Frequently Asked Questions

जमाल सिद्दीकी ने किसे पत्र लिखा?
जमाल सिद्दीकी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा।
कामिल और फाजिल डिग्री धारकों को एमएलसी वोटर लिस्ट में शामिल करने की प्रक्रिया कब तक चलेगी?
यह प्रक्रिया 5 नवंबर तक चलेगी।
क्या सर्वोच्च न्यायालय ने कामिल और फाजिल डिग्रियों को असंवैधानिक घोषित किया?
हां, सर्वोच्च न्यायालय ने इन डिग्रियों को असंवैधानिक घोषित कर दिया है।
क्या कामिल और फाजिल डिग्री धारकों को एमएलसी में शामिल किया जा सकता है?
नहीं, सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार इन्हें ग्रेजुएट डिग्री के समकक्ष नहीं माना जा सकता।
जमाल सिद्दीकी ने क्या अनुरोध किया?
उन्होंने एमएलसी ग्रेजुएट मतदाता सूची में कामिल और फाजिल डिग्री धारकों को शामिल करने पर रोक लगाने का अनुरोध किया।