क्या जम्मू-कश्मीर के रियासी में पाकिस्तान से जुड़े आतंकी की संपत्ति कुर्क की गई?

सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादी की संपत्ति कुर्क की गई।
- यह कार्रवाई आतंकवादी नेटवर्क पर प्रभाव डालने के लिए की गई।
- पुलिस ने कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया का पालन किया।
- संपत्ति कुर्की से देश विरोधी गतिविधियों को संदेश मिलता है।
- जम्मू-कश्मीर पुलिस की प्रतिबद्धता शांति और सुरक्षा के लिए है।
जम्मू, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के रियासी स्थित माहौर क्षेत्र में एक पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादी की संपत्ति को कुर्क किया गया है। पुलिस ने एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी।
बयान में कहा गया है, "जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी नेटवर्क को बड़ा झटका देते हुए, एसएसपी रियासी परमवीर सिंह की देखरेख में जिला पुलिस रियासी ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संचालक मोहम्मद शरीफ मिरासी, जो मूल रूप से सिलधर माहौर का निवासी है, की संपत्ति जब्त कर ली है।"
पुलिस के अनुसार, शरीफ मिरासी 2000 में आतंकवादी संगठनों से जुड़ा और 2010 में भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के उद्देश्य से हथियार और प्रशिक्षण हासिल करने के लिए पाकिस्तान भाग गया। वह प्रारंभ में हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़ा था, लेकिन बाद में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ गया और सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने लगा।
पुलिस ने कहा, "इस निर्णायक कार्रवाई के तहत, सिलधर माहौर में खसरा संख्या 138 और 150 के अंतर्गत आने वाली 3 कनाल और 6 मरला भूमि को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूए(पी)ए) की धारा 25 के तहत जब्त किया गया। यह कानूनी कार्रवाई पुलिस स्टेशन माहौर में दर्ज एफआईआर संख्या 70/2024 से जुड़ी है, जिसमें धारा 61(2), 148, 149 बीएनएस और यूए(पी) अधिनियम की धारा 13, 18, 20, 38 के साथ-साथ आईएमसीओ अधिनियम की धारा 2/3 के तहत आरोप शामिल हैं।"
एसएसपी रियासी ने कहा कि यह कदम आतंकवादी संगठनों और उनके सीमा पार संचालकों के रसद, वित्तीय और परिचालन नेटवर्क को ध्वस्त करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि संपत्ति की कुर्की उन लोगों को कड़ा संदेश देती है, जो देश के भीतर या बाहर से राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहते हैं या उनका समर्थन करते हैं।
बयान में यह भी कहा गया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। साथ ही, आतंकवादी संगठनों के बुनियादी ढांचे और समर्थन नेटवर्क को निशाना बनाती है।