क्या जम्मू में व्हाइट नाइट कोर की युद्ध चिकित्सा तैयारियों में हुई है मजबूती?
सारांश
Key Takeaways
- युद्धकालीन चिकित्सा तैयारियों को मजबूती देना
- सुपर-स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की तैनाती
- तत्काल चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता
- संयुक्त ट्रॉमा टीम का गठन
- मॉक ड्रिल्स और क्रॉस-ट्रेनिंग
जम्मू, १५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तरी कमान के व्हाइट नाइट कोर ने देश की युद्धकालीन चिकित्सा तैयारियों को अभूतपूर्व मजबूती प्रदान करते हुए एक रणनीतिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। १६६ सैन्य अस्पताल के कमांडेंट और आचार्य श्री चंदर कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज एवं अस्पताल, जम्मू के प्रधान निदेशक ने शनिवार को इस महत्वपूर्ण दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए।
इस एमओयू का उद्देश्य युद्ध या शत्रुता की स्थिति में सैनिकों और आम नागरिकों दोनों को त्वरित, प्रभावी और उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करना है, जो युद्ध क्षेत्र में चिकित्सा अवसंरचना को मजबूत करने की ठोस रूपरेखा प्रस्तुत करता है। इसमें गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) बेड, आपातकालीन ऑपरेशन थिएटर, रक्त आधान केंद्र, एम्बुलेंस सेवा और समर्पित शल्य चिकित्सा दल को २४×७ तैयार रखने का प्रावधान है। घायल सैनिकों के लिए 'गोल्डन ऑवर' में जीवन रक्षक उपचार सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, डायलिसिस, एंजियोग्राफी, कार्डियक केयर और ट्रॉमा सर्जरी जैसी विशिष्ट सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
इस साझेदारी की सबसे बड़ी विशेषता सुपर-स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की तैनाती है। युद्धकाल में आवश्यकता पड़ने पर कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, वैस्कुलर सर्जन, यूरोलॉजिस्ट और प्लास्टिक एवं पुनर्निर्माण सर्जन तत्काल उपलब्ध रहेंगे। यह व्यवस्था युद्ध के दौरान होने वाले जटिल आघातों, जैसे मस्तिष्क क्षति, धमनी फटना या अंग विच्छेदन, के इलाज में क्रांतिकारी सिद्ध होगी। दोनों संस्थान मिलकर संयुक्त ट्रॉमा टीम गठित करेंगे, जो वास्तविक युद्ध परिदृश्य में त्वरित निर्णय ले सकेगी।
एमओयू के तहत दोनों संस्थान अपने संसाधनों का पूर्ण आदान-प्रदान करेंगे। सैन्य अस्पताल की फील्ड सर्जिकल यूनिट और मेडिकल कॉलेज की अत्याधुनिक लैब एक-दूसरे के लिए सुलभ होंगी। नियमित संयुक्त मॉक ड्रिल, युद्ध चिकित्सा कार्यशालाएं और क्रॉस-ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जाएंगे। इससे सिविल चिकित्सक युद्ध क्षेत्र की चुनौतियों से परिचित होंगे, जबकि सैन्य चिकित्सक नवीनतम तकनीकों से अपडेट रहेंगे।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्त्वाल ने कहा, "यह एमओयू युद्ध के समय चिकित्सा सेवाओं में आत्मनिर्भरता की दिशा में क्रांतिकारी कदम है। यह सुनिश्चित करता है कि चाहे सीमा पर गोलीबारी हो या आतंकी हमला, हमारे जवान और नागरिक उच्चतम चिकित्सा देखभाल से वंचित न रहें।" उन्होंने बताया कि यह पहला ऐसा समझौता है, जिसमें सैन्य और सिविल मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को एकीकृत रूप से युद्ध तैयारियों के लिए जोड़ा गया है।