क्या जेरलिन जयराचगन टोक्यो में भारत की ध्वजवाहक बनेंगी?

Click to start listening
क्या जेरलिन जयराचगन टोक्यो में भारत की ध्वजवाहक बनेंगी?

सारांश

जेरलिन जयराचगन को टोक्यो में होने वाले डेफलिंपिक्स 2025 में भारत की ध्वजवाहक बनने का गर्व प्राप्त हुआ है। जानिए इस विशेष अवसर की पूरी कहानी और उनकी उपलब्धियों के बारे में।

Key Takeaways

  • जेरलिन जयराचगन को डेफलिंपिक्स 2025 में भारत की ध्वजवाहक बनाया गया है।
  • भारत का दल 111 सदस्यों का होगा।
  • जेरलिन ने पहले ही तीन स्वर्ण पदक जीते हैं।
  • भारत ने 2021 में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का रिकॉर्ड बनाया था।
  • डेफलिंपिक्स बधिर एथलीटों का एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंच है।

नई दिल्ली, १२ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जापान की राजधानी टोक्यो में १५ से २६ नवंबर तक आयोजित होने वाले ग्रीष्मकालीन डेफलिंपिक्स २०२५ में बैडमिंटन खिलाड़ी जेरलिन जयराचगन भारत की ध्वजवाहक होंगी। जेरलिन ने डेफलिंपिक में अब तक तीन स्वर्ण पदक जीते हैं।

भारत इस आयोजन में १११ सदस्यों का एक बड़ा दल भेज रहा है। भारतीय दल का उत्साह बढ़ाने के लिए बुधवार को जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में भारत सरकार के खेल सचिव हरि रंजन राव ने भाग लिया। इस मौके पर भारतीय दल की आधिकारिक किट का अनावरण भी किया गया। भारतीय दल का पहला जत्था गुरुवार को टोक्यो के लिए रवाना होगा।

केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने अपने संदेश में कहा, "विशेष एथलीटों के लिए वैश्विक आयोजनों में भारत की प्रगति गर्व की बात है। खेलों के माध्यम से समावेशिता को बढ़ावा देने और स्वस्थ पहुंच को बढ़ावा देने के हमारे प्रयासों के तहत, हमें डेफलिंपिक में अब तक का सबसे बड़ा भारतीय दल भेजकर बेहद खुशी हो रही है। हर साल हमारे पदकों की संख्या बढ़ रही है, और मुझे पूरा यकीन है कि हम ब्राजील से भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे। मैं प्रत्येक एथलीट और सहयोगी स्टाफ को शुभकामनाएं देता हूं।"

अखिल भारतीय बधिर खेल परिषद के महासचिव जी. सुरेश कुमार ने कहा, "हम वैश्विक बधिर खेल आंदोलन का गर्व से जश्न मना रहे हैं, जिसने दुनिया भर के एथलीटों को प्रेरित करते हुए १०० साल पूरे कर लिए हैं। भारत इस यात्रा का हिस्सा बनकर गौरवान्वित है। हम बधिर एथलीटों को सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत रहे हैं। हमें वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिभा और उत्साह का प्रदर्शन करने पर गर्व है।"

टोक्यो डेफलिंपिक्स में भारत की ध्वजवाहक जेरलिन जयराचगन ने कहा, "ध्वजवाहक चुना जाना मेरे लिए गर्व और भावुकता का क्षण है। यह मेरा तीसरा डेफलंपिक है, लेकिन पहली बार मैं अपने देश का ध्वज लेकर नेतृत्व करूंगी। यह बेहद खास एहसास है। यह वर्षों की मेहनत, समर्पण और न केवल ध्वज, बल्कि हमारी टीम के प्रत्येक खिलाड़ी के सपनों को भी आगे बढ़ाने का प्रतीक है। मैं इस अवसर के लिए बहुत आभारी हूं।"

जेरलिन जयराचगन ने १३ साल की उम्र में अपना पहला डेफलिंपिक्स खेला था। २०२१ में ब्राजील में आयोजित डेफलिंपिक्स में जेरलिन ने बैडमिंटन में महिला एकल, मिश्रित युगल और टीम स्पर्धा में तीन स्वर्ण जीतकर इतिहास रच दिया था। २०२२ में भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा था। वह ये सम्मान पाने वाली पहली भारतीय महिला डेफलंपियन बन गईं।

२०२१ में ब्राजील में आयोजित डेफलिंपिक्स में भारत ने ३९ पुरुष और २६ महिला एथलीटों का दल भेजा था। भारतीय दल ने आठ स्वर्ण, एक रजत और सात कांस्य सहित कुल १६ पदक जीतकर अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था।

डेफलिंपिक्स २०२५ में भारत ११ खेलों - एथलेटिक्स, बैडमिंटन, गोल्फ, जूडो, कराटे, निशानेबाजी, तैराकी, टेबल टेनिस, ताइक्वांडो, कुश्ती और टेनिस - में भाग लेगा। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के संरक्षण में आयोजित होने वाले डेफलिंपिक्स, दुनिया के दूसरे सबसे पुराने अंतरराष्ट्रीय बहु-खेल आयोजन हैं। इसका आयोजन अंतरराष्ट्रीय बधिर खेल समिति द्वारा किया जाता है।

Point of View

बल्कि भारत के लिए गर्व की बात है। यह हमारे देश में बधिर खेलों में प्रगति और समर्पण का प्रतीक है। हम सभी को उनकी मेहनत और उपलब्धियों पर गर्व है।
NationPress
12/11/2025

Frequently Asked Questions

डेफलिंपिक्स क्या है?
डेफलिंपिक्स बधिर एथलीटों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय बहु-खेल आयोजन है, जो हर चार साल में आयोजित होता है।
जेरलिन जयराचगन कौन हैं?
जेरलिन जयराचगन एक प्रसिद्ध बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने डेफलिंपिक में कई स्वर्ण पदक जीते हैं।
भारत का टोक्यो में कितने एथलीटों का दल जाएगा?
भारत टोक्यो में होने वाले डेफलिंपिक्स 2025 में 111 एथलीटों का दल भेज रहा है।
डेफलिंपिक्स में भारत ने पिछली बार कैसा प्रदर्शन किया था?
भारत ने 2021 के डेफलिंपिक्स में 16 पदक जीते थे, जिसमें 8 स्वर्ण, 1 रजत और 7 कांस्य शामिल थे।
डेफलिंपिक्स कब आयोजित होता है?
डेफलिंपिक्स हर चार साल में आयोजित होता है।