क्या झारखंड एसीबी में 211 मामलों की प्रारंभिक जांच लंबित रहना चिंताजनक है?

सारांश
Key Takeaways
- झारखंड एसीबी में 211 मामले लंबित हैं।
- हाई कोर्ट ने एसीबी के डीजी को निर्देश दिया है।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की आवश्यकता है।
- अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी।
- पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी हैं।
रांची, २२ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य के एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में 200 से अधिक मामलों की प्रारंभिक जांच (पीई) लंबे समय से लंबित रहने पर अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त की है। अदालत ने कहा कि यह चिंताजनक है कि एसीबी में दर्ज 613 पीई में से मात्र 480 का निपटारा हुआ है, जबकि 211 मामले अब भी अधर में लटके हैं।
चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान के आधार पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एसीबी के महानिदेशक (डीजी) को निर्देश दिया कि वे व्यक्तिगत रूप से शपथपत्र प्रस्तुत कर बताएं कि इन 211 लंबित जांचों का निपटारा कब तक होगा। अदालत ने आगे की सुनवाई की तारीख 6 नवंबर निर्धारित की है।
सुनवाई के दौरान एसीबी की ओर से पुलिस उपाधीक्षक ने एक शपथपत्र दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि ब्यूरो पर गोपनीय सत्यापन, खुफिया जानकारी एकत्रित करने और बड़ी संख्या में जांचों का अतिरिक्त बोझ है। इसी कारण कई मामलों में देरी हो रही है, लेकिन हाई कोर्ट ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा कि एसीबी का गठन ही इस उद्देश्य से किया गया था कि वह भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करे, गोपनीय सूचनाओं की जांच-पड़ताल करे और आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई करे, इसलिए काम के बोझ या स्टाफ की कमी का बहाना नहीं बनाया जा सकता।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यह तर्क भी स्वीकार्य नहीं है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ जांच चल रही है, वे अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं या उनकी मृत्यु हो चुकी है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में भी जांच समयबद्ध तरीके से पूरी की जानी चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई से संबंधित मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।