क्या झारखंड हाईकोर्ट ने जेएसएससी से पूछा, सहायक शिक्षक परीक्षा में अधिक अंक वाले मेरिट लिस्ट से कैसे हुए बाहर?
सारांश
Key Takeaways
- झारखंड हाईकोर्ट ने संशोधित परिणाम में विसंगतियों की जांच की।
- अधिक अंक वाले उम्मीदवारों को बाहर करने का मामला गंभीर है।
- अदालत ने आयोग को स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया।
- चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्न उठे हैं।
- अंतरिम आदेश के तहत याचिकाकर्ताओं के पद सुरक्षित किए गए हैं।
रांची, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में गणित और विज्ञान विषयों के सहायक आचार्य (शिक्षक) नियुक्ति परीक्षा के संशोधित परिणाम में गंभीर विसंगतियों की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। अदालत ने कहा कि उसके सामने लाए गए तथ्यों के अनुसार, अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को संशोधित मेधा सूची से बाहर किया गया, जबकि कम अंक वाले कई उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया है।
जस्टिस आनंदा सेना की बेंच ने आयोग को यह स्पष्ट करने को कहा है कि किस आधार और किन नियमों के तहत ऐसा परीक्षाफल जारी किया गया है। इस संबंध में किशोर कुमार एवं अन्य अभ्यर्थियों की ओर से याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता चंचल जैन ने अदालत को बताया कि प्रारंभिक परिणाम में इन सभी अभ्यर्थियों के नाम शामिल थे और उन्हें जिला स्तरीय काउंसलिंग के लिए बुलाया भी गया था। काउंसलिंग के दौरान उन्हें और अन्य उम्मीदवारों को प्राप्त अंकों का विवरण उपलब्ध कराया गया था।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, संशोधित परिणाम जारी होने पर पाया गया कि कई ऐसे अभ्यर्थी, जिनके अंक उनसे कम थे, सूची में बने रहे, जबकि अधिक अंक प्राप्त करने के बावजूद उन्हें बाहर कर दिया गया।
अधिवक्ता जैन ने अदालत के समक्ष ऐसे 15-20 से अधिक उदाहरण प्रस्तुत किए, जिनमें कम अंक वाले उम्मीदवारों को संशोधित मेधा सूची में जगह मिली है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे अपने-अपने वर्ग में उच्च अंक प्राप्त कर चुके हैं और सभी ने टेट परीक्षा भी उत्तीर्ण की है। ऐसे में उनका बाहर किया जाना चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।
इन दलीलों पर अदालत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए आयोग से पूछा कि जब उच्च अंक वाले अभ्यर्थी उपलब्ध थे तो कम अंक वालों को सूची में बनाए रखने का तर्क क्या है। हाईकोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए याचिकाकर्ताओं के लिए पद सुरक्षित रखने का अंतरिम आदेश पारित किया है। इसके साथ ही अदालत ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग को निर्देश दिया है कि वह अपने काउंटर एफिडेविट में विस्तृत रूप से बताए कि किन कारणों से अधिक अंक वाले उम्मीदवारों को संशोधित परिणाम से बाहर किया गया।