क्या झारखंड में खनन क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान संभव है?

सारांश
Key Takeaways
- खनन क्षेत्र की समस्याओं का समाधान केंद्र और राज्य के सहयोग से ही संभव है।
- स्थानीय लोगों को रोजगार और पुनर्वास पर जोर दिया गया।
- डीएमएफटी और सीएसआर फंड का बेहतर उपयोग होगा।
- खनन क्षेत्र में पारदर्शिता का ध्यान रखा जाएगा।
- सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
रांची, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में कोयला और खनन क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर शुक्रवार शाम को मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी और सीएम हेमंत सोरेन की उपस्थिति में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में खनन क्षेत्र में उत्पन्न चुनौतियों और विवादों के समाधान पर सहमति बनी।
बैठक में शामिल राज्य सरकार, कोल मंत्रालय और कोल इंडिया की सहायक इकाइयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने कोल माइंस से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि खनन क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान केवल केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से ही संभव है। उन्होंने कहा कि खनन क्षेत्र को आगे बढ़ाने और विवादों को हल करने के लिए सभी पक्षों को मिलकर प्रयास करना चाहिए।
बैठक में खनिज रॉयल्टी, कोल माइंस के लिए भूमि अधिग्रहण, रैयतों को मुआवजा, विस्थापितों के पुनर्वास और स्थानीय लोगों को रोजगार जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। इसके साथ ही डीएमएफटी और सीएसआर फंड के बेहतर उपयोग और कोल परियोजनाओं में आ रही अड़चनों के समाधान पर भी सहमति बनी।
केंद्रीय मंत्री रेड्डी ने मुख्यमंत्री को खनन परियोजनाओं की प्राथमिकताओं और वर्तमान चुनौतियों के बारे में जानकारी दी। वहीं, मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और स्थानीय हितों की रक्षा के लिए केंद्र के साथ मिलकर सकारात्मक कदम उठाएगी।
बैठक में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, केंद्रीय कोयला मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी संजय लोहिया, राज्य के राजस्व सचिव चंद्रशेखर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।