क्या झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम के जंगलों में नक्सलियों के ठिकानों से 18 हजार डेटोनेटर बरामद हुए?

सारांश
Key Takeaways
- पश्चिमी सिंहभूम में नक्सलियों के ठिकाने से बरामद 18 हजार डेटोनेटर
- सुरक्षा बलों ने छिपाकर रखे गए विस्फोटकों को सफलतापूर्वक नष्ट किया
- यह ऑपरेशन नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई का हिस्सा है
- पुलिस और सुरक्षा बलों की संयुक्त कार्रवाई ने बड़ी सफलता दिलाई
- स्थानीय समुदाय की सुरक्षा के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है
चाईबासा, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में नक्सल विरोधी अभियान के तहत मंगलवार को पुलिस और सुरक्षा बलों को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मिली। जिले के टोंटो थाना अंतर्गत हुसिपी और आस-पास के जंगलों में माओवादी नक्सलियों द्वारा छिपाए गए 18 हजार डेटोनेटर बरामद किए गए हैं।
इन डेटोनेटर का इस्तेमाल आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बनाने में होता है।
पुलिस अधीक्षक राकेश रंजन ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस और सुरक्षा बलों ने संयुक्त रूप से सर्च ऑपरेशन चलाया। इस दौरान जंगली-पहाड़ी क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर डेटोनेटर छिपाए गए थे। टीम के साथ चल रहे बम निरोधक दस्ते ने इन्हें जंगल में ही नष्ट कर दिया है। इस ऑपरेशन में जिला पुलिस, सीआरपीएफ की 60 बटालियन एवं झारखंड जगुआर की टुकड़ियां शामिल थीं।
यह उल्लेखनीय है कि माओवादी नक्सलियों ने 27 मई को झारखंड से सटे ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के रेलाहातू यांको स्थित पत्थर खदान के पास 200 पैकेट विस्फोटक लूट लिए थे। नक्सलियों ने विस्फोटक लदी वैन को ओडिशा सीमा से सटे झारखंड के सारंडा जंगल में ले जाकर विस्फोटकों के पैकेट उतार दिए थे।
बाद में सुरक्षा बलों ने लूटे गए विस्फोटक का अधिकांश भाग बरामद कर लिया था। झारखंड का विशाल सारंडा जंगल नक्सलियों का सबसे बड़ा स्थान बना हुआ है। लेकिन पिछले दो वर्षों के दौरान सुरक्षा बलों और पुलिस के लगातार प्रयासों के कारण नक्सली अब जंगल के एक सीमित क्षेत्र में सिमटकर रह गए हैं।
नक्सली संगठन के लोग पुलिस और सुरक्षा बलों को रोकने और नुकसान पहुंचाने के लिए जंगली रास्तों में जगह-जगह विस्फोटक लगा देते हैं। पिछले दो वर्षों में इसकी चपेट में आकर पुलिस और सुरक्षा बलों के कम से कम चार अधिकारियों और जवानों ने अपनी जान गंवाई है। इसके अलावा, दस से अधिक ग्रामीण भी विस्फोटकों के कारण अपनी जिंदगी खो चुके हैं।