क्या झारखंड में अनुसूचित क्षेत्रों में परंपरागत स्वशासन का रास्ता साफ हुआ?

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क्या झारखंड में अनुसूचित क्षेत्रों में परंपरागत स्वशासन का रास्ता साफ हुआ?

सारांश

झारखंड का पेसा कानून अब प्रभावी होने जा रहा है, जो अनुसूचित क्षेत्रों में परंपरागत स्वशासन सुनिश्चित करेगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार मिलेंगे, जिससे स्थानीय समुदायों को उनके संसाधनों पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी।

Key Takeaways

  • पेसा कानून की नियमावली को झारखंड सरकार ने मंजूरी दी।
  • ग्राम सभाओं को अधिकार और भूमिका में विस्तार मिलेगा।
  • आदिवासी समुदायों को स्थानीय संसाधनों पर नियंत्रण प्राप्त होगा।
  • नियमावली के लागू होते ही कानून प्रभावी हो जाएगा।
  • यह निर्णय आदिवासी स्वशासन की दिशा में महत्वपूर्ण है।

रांची, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड राज्य सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में परंपरागत स्वशासन को लागू करने के लिए पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया) एक्ट, 1996 की नियमावली को मंजूरी प्रदान की है। इस महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में की गई।

इसके साथ ही, राज्य में लंबे समय से लंबित 'पेसा' कानून के प्रभावी कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, ''हमने इस कानून की नियमावली कई स्तरों पर विचार विमर्श और विभिन्न विभागों से सुझाव लेने के बाद तैयार की है, और इसे आज हमारी कैबिनेट ने झारखंड की जनता को समर्पित किया है। हमें विश्वास है कि इस कानून से अनुसूचित क्षेत्रों के लोगों को कई लाभ होंगे।''

कैबिनेट सचिव वंदना दादेल ने बताया कि नई नियमावली लागू होने के साथ ही ग्राम सभाओं की भूमिका और अधिकारों में विस्तारितता आएगी। इसका उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में निवासरत आदिवासी समुदायों को स्थानीय संसाधनों के संरक्षण और निर्णय प्रक्रिया में प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करना है। नियमावली के तहत, ग्राम सभाओं को अपने क्षेत्र में होने वाले खनन कार्यों पर निगरानी रखने और सहमति देने का अधिकार मिलेगा। भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामलों में भी ग्राम सभा की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

इसके अलावा, वन भूमि के संरक्षण, उपयोग और प्रबंधन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णयों में भी ग्राम सभाओं को कानूनी अधिकार प्राप्त होंगे। इससे स्थानीय समुदायों की पारंपरिक व्यवस्था, संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों पर पकड़ अधिक मजबूत होने की संभावना है।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि पेसा नियमावली की अधिसूचना जारी होते ही कानून प्रभावी रूप से लागू हो जाएगा। विकास योजनाओं के निर्माण और कार्यान्वयन में ग्राम सभाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, पारंपरिक ग्राम सभाओं को मान्यता दी जाएगी और उन्हें अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को अधिसूचित करने का अवसर मिलेगा। पेसा कानून झारखंड के 15 अनुसूचित जिलों में लागू होगा, जहां इसे लंबे समय से लागू करने की मांग उठती रही है।

सरकार के इस निर्णय को आदिवासी स्वशासन और लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में पेसा कानून लागू न होने पर इसी वर्ष सितंबर में बालू घाटों और लघु खनिजों के लीज आवंटन पर रोक लगा दी थी। मंगलवार को भी इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसमें सरकार की ओर से अदालत को बताया गया था कि आज पेसा एक्ट की नियमावली का ड्राफ्ट कैबिनेट में पेश किया जाएगा।

Point of View

बल्कि यह लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण को भी बढ़ावा देगा। इस प्रकार के निर्णय से स्थानीय समुदायों को उनके संसाधनों पर अधिकार प्राप्त होगा, जो कि एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।
NationPress
23/12/2025

Frequently Asked Questions

पेसा कानून क्या है?
पेसा कानून, अर्थात पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया एक्ट, 1996, आदिवासी क्षेत्रों में स्वशासन और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया है।
इस नियमावली का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस नियमावली का उद्देश्य ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार देना और स्थानीय समुदायों को संसाधनों पर नियंत्रण प्रदान करना है।
क्या यह कानून सभी जिलों में लागू होगा?
यह कानून झारखंड के 15 अनुसूचित जिलों में लागू होगा।
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