क्या झारखंड में नवजात को 50 हजार में बेचा गया था?

सारांश
Key Takeaways
- पलामू में एक महिला ने इलाज के लिए पैसे की कमी के कारण नवजात को बेचा।
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हस्तक्षेप से बच्चे का रेस्क्यू किया गया।
- महिला के पास सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं थे।
- परिवार को अब राशन और सहायता उपलब्ध कराई गई है।
- यह घटना सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालती है।
पलामू, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के पलामू में एक महिला, जो स्तन की गांठ के इलाज के लिए पैसे नहीं जुटा पाई, ने अपने एक महीने के नवजात को 50 हजार रुपए में बेच दिया। जैसे ही यह मामला प्रकाश में आया, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने रविवार को त्वरित कार्रवाई करते हुए बच्चे को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया और उसे उसके माता-पिता को लौटाया।
यह घटना पलामू जिले के लेस्लीगंज थाना क्षेत्र के लोटवा गांव में हुई। वहां की निवासी पिंकी देवी ने अपने नवजात बेटे को एक दलाल के माध्यम से लातेहार के एक निःसंतान दंपती को सौंप दिया था।
महिला ने कहा कि उनके स्तन में गांठ थी और परिवार के पास न तो इलाज के लिए पैसे थे और न ही रोज़ के खाने का साधन। यह जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आई। इस पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मामले का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को तुरंत कार्रवाई का निर्देश दिया। इसके बाद लेस्लीगंज थाने की पुलिस पिंकी देवी के साथ लातेहार पहुंची। जिला प्रशासन की ओर से प्रतिनियुक्त मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में नवजात को सुरक्षित रेस्क्यू कर उसके माता-पिता को सौंप दिया गया।
पिंकी देवी और उनके पति रामचंद्र राम मजदूरी करते हैं। उनका परिवार पांच बच्चों के साथ देवी मंडप के शेड में रहता है। उनके पास राशन कार्ड, आधार कार्ड या जॉब कार्ड जैसे कोई दस्तावेज नहीं हैं, जिसके कारण वे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे थे।
पिंकी देवी ने कहा, 'हमारे पास न इलाज का साधन था, न खाना। मैं अपने बच्चे के लिए यह कदम उठाने को मजबूर हुई।' बच्चे की वापसी पर पिंकी और उसका पूरा परिवार खुश है। जिला प्रशासन के निर्देश पर परिवार को राशन और आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई गई है।