क्या झारखंड शराब घोटाले में एसीबी ने जमशेदपुर डीसी कर्ण सत्यार्थी को पूछताछ के लिए तलब किया?
सारांश
Key Takeaways
- झारखंड शराब घोटाला एक गंभीर मामला है।
- एसीबी ने कई अधिकारियों से पूछताछ की है।
- गैरकानूनी बैंक गारंटी का उपयोग हुआ था।
- राज्य को 129.55 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
- 10 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
रांची, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में चर्चित शराब घोटाले की जांच कर रहे एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने पूर्व उत्पाद आयुक्त और वर्तमान में जमशेदपुर के उपायुक्त (डीसी) कर्ण सत्यार्थी को पूछताछ के लिए तलब किया है। उन्हें गुरुवार को जांच अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होने का नोटिस भेजा गया है। इससे पहले, एसीबी ने इस मामले में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों मुकेश कुमार, मनोज कुमार और रामगढ़ के डीसी फैज अक अहमद से भी पूछताछ की थी।
सूत्रों के अनुसार, इन अधिकारियों से हुई पूछताछ में कई महत्वपूर्ण और चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं, जिन्होंने आगे की कार्रवाई को तेज किया है। झारखंड में हुए इस बड़े शराब घोटाले में एसीबी ने उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के तत्कालीन सचिव विनय चौबे सहित कुल 13 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की है। इस मामले में पहली गिरफ्तारी वरीय आईएएस अधिकारी विनय चौबे की हुई थी।
एसीबी की एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि दो प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा जमा की गई बैंक गारंटी की प्रामाणिकता की जांच संबंधित अधिकारियों ने नहीं की। बाद में बैंक प्रबंधक ने स्पष्ट किया कि बैंक गारंटी न तो बैंक द्वारा जारी की गई थी और न ही उस पर प्रयुक्त लेटरहेड और हस्ताक्षर बैंक के थे। इसके बावजूद इन प्लेसमेंट एजेंसियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके कारण 38.44 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ।
जांच में यह भी सामने आया है कि राज्य सरकार की ओर से शराब दुकानों के संचालन और मैनपावर सप्लाई के लिए नियुक्त सात प्लेसमेंट कंपनियों ने टेंडर की शर्तों का उल्लंघन किया था। उनकी जमा की गई बैंक गारंटी फर्जी पाई गई, जिससे राज्य को 129.55 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। यह तथ्य झारखंड स्टेट बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड की आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट में उजागर हुआ था।
एसीबी इस प्रकरण में 10 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनमें पूर्व आईएएस विनय कुमार चौबे, रिटायर्ड आईएएस अमित प्रकाश, जेएएस अधिकारी गजेंद्र सिंह, छत्तीसगढ़ के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया तथा प्रिज्म होलोग्राफी कंपनी के निदेशक विधु गुप्ता शामिल हैं। हालांकि, समय पर आरोपपत्र दाखिल न होने के कारण सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।