क्या जिम कॉर्बेट ने जंगलों में जानवरों के आतंक को खत्म किया?

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क्या जिम कॉर्बेट ने जंगलों में जानवरों के आतंक को खत्म किया?

सारांश

जिम कॉर्बेट, एक अद्वितीय शिकारी और संरक्षणकर्ता, ने उत्तराखंड में आदमखोर जानवरों के आतंक को समाप्त किया। उनका जीवन और योगदान आज भी जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क और उनकी लेखन में जीवित है। जानें, कैसे उन्होंने सैकड़ों जानें बचाईं और भारत के पहले राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना में मदद की।

Key Takeaways

  • जिम कॉर्बेट ने आदमखोर जानवरों के आतंक को समाप्त किया।
  • उन्होंने भारत के पहले राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना की।
  • उनका लेखन प्रकृति के प्रति सम्मान से भरा हुआ है।
  • वे एक कुशल शिकारी और संरक्षणकर्ता थे।
  • उनकी विरासत आज भी जीवित है।

नई दिल्ली, 24 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। 'चंपावत की आदमखोर बाघिन' और 'रुद्रप्रयाग का खूंखार तेंदुआ', ये दोनों जीव अपने समय में उत्तराखंड में आतंक का प्रतीक बन गए थे। इनकी दहशत इतनी बढ़ गई थी कि लोग इनके आने की आहट पर अपने घरों में दुबक जाते थे। इन आदमखोरों ने सैकड़ों जानें लीं, लेकिन एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट ने इस आतंक को समाप्त करने का बीड़ा उठाया। कॉर्बेट ने कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में अपनी अद्वितीय बहादुरी, गहरे जंगल ज्ञान और ट्रैकिंग कौशल के माध्यम से इन खतरनाक जानवरों का पीछा किया और उनके आतंक को खत्म किया।

25 जुलाई, 1875 को उत्तराखंड के नैनीताल में जन्मे जिम कॉर्बेट का पूरा नाम एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट था। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की वेबसाइट के अनुसार, उन्होंने अपना बचपन नैनीताल के घने जंगलों में बिताया, जिससे उन्हें प्रकृति और जंगली रास्तों का गहरा ज्ञान मिला। उनका परिवार नैनीताल के गुर्नी हाउस में रहता था, जहाँ उनकी माँ मैरी जेन कॉर्बेट और बहन मार्गरेट विनफ्रेड कॉर्बेट के साथ उनका गहरा संबंध था। उनकी माँ ने विधवा पेंशन की मामूली आय पर 12 बच्चों की परवरिश की। कम उम्र में ही जिम पर परिवार का भार आ गया, जिसके लिए उन्होंने रेलवे में नौकरी शुरू की।

जिम कॉर्बेट केवल एक कुशल शिकारी नहीं बने, बल्कि एक असाधारण प्रकृतिवादी भी बने। उनके पास अद्वितीय अवलोकन क्षमता, तेज गति और असाधारण सहनशक्ति थी। वह जंगल के छोटे-छोटे संकेतों और वन्य जीवों की गतिविधियों को तुरंत पहचान लेते थे। उनके नाम पर 19 बाघों और 14 तेंदुओं के शिकार का रिकॉर्ड है। शिकारी के रूप में प्रसिद्धि के बावजूद, वे एक अग्रणी पर्यावरण संरक्षक भी थे। उन्होंने भारत के पहले राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया और वन्यजीव संरक्षण के लिए कई संगठनों से जुड़े रहे।

20वीं सदी के पहले दशकों में कॉर्बेट ने 'रुद्रप्रयाग का तेंदुआ' और 'चंपावत की बाघिन' जैसे खतरनाक आदमखोर जानवरों का शिकार किया। कहा जाता है कि 'चंपावत की बाघिन' ने नेपाल में 200 से अधिक लोगों का शिकार किया था। जब उसका आतंक बढ़ा, तो 1907 में नैनीताल के डिप्टी कमिश्नर ने कॉर्बेट से संपर्क किया। इसके बाद उन्होंने 'चंपावत की बाघिन' का शिकार किया और 1925 में 'रुद्रप्रयाग के तेंदुए' का भी।

कॉर्बेट ने अपने अनुभवों को रोमांचक और संवेदनशील तरीके से अपनी पुस्तकों में रखा। उन्होंने 'मैन-ईटर्स ऑफ कुमाऊं', 'द मैन-ईटिंग लेपर्ड ऑफ रुद्रप्रयाग' और 'माई इंडिया' जैसी प्रसिद्ध किताबें लिखीं। इन पुस्तकों में उन्होंने अपने शिकार के अनुभवों, जंगलों की सुंदरता और भारतीय ग्रामीण जीवन का जीवंत वर्णन किया। उनकी लेखन शैली रोमांचक और प्रकृति के प्रति गहरे सम्मान से भरी हुई थी।

कॉर्बेट का सबसे बड़ा योगदान भारतीय वन्यजीव संरक्षण में रहा। उन्होंने भारत के पहले राष्ट्रीय उद्यान, हेली नेशनल पार्क (वर्तमान में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे शिकार से संरक्षण की ओर बढ़े और लोगों को वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व की महत्ता समझाई। कॉर्बेट एक कुशल फोटोग्राफर और फिल्म निर्माता भी थे, जिन्होंने जंगलों और वन्यजीवों को अपनी कैमरे में कैद किया।

हालांकि, भारत की आजादी के बाद जिम ने देश छोड़ दिया और केन्या चले गए। 19 अप्रैल, 1955 को केन्या में उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क और उनके लेखन के माध्यम से जीवित है।

Point of View

बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी का भी एहसास कराता है। उनकी उपलब्धियाँ हमें यह सिखाती हैं कि मानवता और प्रकृति के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।
NationPress
25/07/2025

Frequently Asked Questions

जिम कॉर्बेट का असली नाम क्या था?
जिम कॉर्बेट का असली नाम एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट था।
जिम कॉर्बेट ने कितने आदमखोर जानवरों का शिकार किया?
जिम कॉर्बेट ने 19 बाघों और 14 तेंदुओं का शिकार किया।
जिम कॉर्बेट ने किस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना की?
जिम कॉर्बेट ने भारत के पहले राष्ट्रीय उद्यान, हेली नेशनल पार्क (अब जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क) की स्थापना की।
जिम कॉर्बेट का जन्म कब हुआ?
जिम कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई, 1875 को हुआ था।
जिम कॉर्बेट का निधन कब हुआ?
जिम कॉर्बेट का निधन 19 अप्रैल, 1955 को केन्या में हुआ।