क्या नितेश राणे भाषा और धर्म के नाम पर विद्वेष फैलाने की कोशिश कर रहे हैं?

सारांश
Key Takeaways
- राजनीति में वास्तविक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
- धर्म और भाषा के आधार पर विभाजन नहीं होना चाहिए।
- हर भाषा का सम्मान करना आवश्यक है।
- राजनीतिक लाभ के लिए बयानबाजी खतरनाक हो सकती है।
- जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए।
मुंबई, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस की नेता और विधायक ज्योति गायकवाड ने महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे के उस विवादास्पद बयान की कड़ी निंदा की, जिसमें उन्होंने कहा था कि मदरसों में अब मराठी का भी अध्ययन होना चाहिए। ज्योति गायकवाड ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि महाराष्ट्र की राजनीति में वास्तविक मुद्दों पर चर्चा नहीं हो रही है। ये लोग राज्य की जनता का कीमती समय बर्बाद कर रहे हैं, जिसे किसी भी स्थिति में सहन नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि नितेश राणे हमेशा जनहित से जुड़े मुद्दों पर मौन रहते हैं और केवल हिंदू-मुस्लिम से संबंधित बातें करते हैं। इस तरह, ये लोग केवल राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं। मैं यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि उन्हें इससे कोई लाभ नहीं मिलने वाला है।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने मराठी भाषा को लेकर चल रहे विवाद पर कहा कि हम हर भाषा का सम्मान करते हैं। महाराष्ट्र में मराठी के साथ-साथ अन्य भाषाओं का भी सम्मान किया जाता है। मैं नितेश राणे से अनुरोध करती हूं कि कृपया भाषा और धर्म के नाम पर लोगों के बीच द्वेष पैदा करने का प्रयास न करें। यह बिल्कुल अनुचित है। अगर आपको बोलने का इतना ही शौक है, तो जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कीजिए। ऐसे मुद्दों को उठाइए, जिनसे लोगों को लाभ हो।
कांग्रेस नेता ने नितेश राणे के बयान की निंदा करते हुए कहा कि आप मंत्री हैं और हम सभी जानते हैं कि आप कैसे मंत्री बने हैं। मेरी आपसे अनुरोध है कि धर्म और भाषा के नाम पर लोगों को विभाजित करना बंद करें। अब महाराष्ट्र की जनता आपके चाल, चरित्र, और चेहरे को समझ चुकी है। यदि आपको लगता है कि लोग आपके जाल में फंस जाएंगे, तो यह आपकी गलतफहमी है।