क्या मदरसे से जुड़े बिल के कारण हजारों बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे?

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क्या मदरसे से जुड़े बिल के कारण हजारों बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे?

सारांश

कमाल अख्तर ने मदरसा शिक्षकों के संरक्षण विधेयक पर गंभीर चिंताएं व्यक्त की हैं। उन्होंने कहा कि इस बिल के लागू होने से हजारों बच्चे शिक्षा से वंचित हो सकते हैं। क्या यह बिल वास्तव में शिक्षा के अधिकार के खिलाफ है?

Key Takeaways

  • मदरसा विधेयक से हजारों बच्चों की शिक्षा प्रभावित होने की आशंका।
  • बीएलओ की मौत पर मुआवजे की मांग।
  • सरकार की जिम्मेदारी सभी धर्मों के विकास की है।

लखनऊ, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के प्रमुख सचेतक कमाल अख्तर ने मतदाता सत्यापन के दौरान एक बीएलओ की मौत, मदरसा शिक्षकों के संरक्षण विधेयक को रद्द करने और अखलाक लिंचिंग मामले में यूपी सरकार की याचिका को अदालत द्वारा खारिज किए जाने के मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है।

कमाल अख्तर ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि सरकार कहती कुछ और है और करती कुछ और है। सरकार का नारा है सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास। उत्तर प्रदेश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं। सरकार की जिम्मेदारी है कि सबका विकास सुनिश्चित किया जाए। तभी उत्तर प्रदेश, उत्तम प्रदेश बन सकेगा।

उन्होंने कहा कि सरकार मदरसा को लेकर जो बिल लेकर आई है, उससे साफ होता है कि वह नहीं चाहती कि समाज के कुछ लोग पढ़ाई कर सकें। शिक्षा का अधिकार यही है कि हर बच्चे को शिक्षा मिलनी चाहिए। मदरसों में बच्चों को पढ़ाई होती है। हजारों की संख्या में शिक्षक उन्हें शिक्षा दे रहे थे। इस बदलाव के बाद वे बेरोजगार हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि जब इतनी बड़ी संख्या में शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे, तो उनके पास कोई संसाधन नहीं रहेगा कि वे मदरसों का संचालन कर सकें। इसके बाद मदरसे बंद हो जाएंगे और हजारों बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर इस बिल में कुछ विसंगतियां थीं, तो उन्हें दूर करना चाहिए था, न कि एक सरकार द्वारा लाए गए शिक्षा से जुड़े इस बिल के जरिए शिक्षा को बाधित करना चाहिए था।

एसआईआर को लेकर उन्होंने कहा कि इसके लिए एक महीने का वक्त था, लेकिन चुनाव आयोग ने इस समय सीमा को बढ़ा दिया। इसमें काम करने वाले कई लोगों को ट्रेनिंग नहीं दी गई। हमारी आपत्ति थी कि एक महीने के अंदर 16 करोड़ लोगों का एसआईआर कैसे हो जाएगा, जब हम आठ चरणों में चुनाव करवाते हैं।

उन्होंने कहा कि इस वजह से काम करने वाले दबाव में थे। जिनके परिवार वालों ने समर्थन दिया, वे इसे कर गए, लेकिन कुछ लोग मानसिक दबाव में थे और उन्होंने आत्महत्या जैसे कदम उठाए। उन्होंने दावा किया कि यूपी में 20-25 बीएलओ ने आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठाए हैं, लेकिन उन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया गया।

उन्होंने कहा कि चुनाव में लगे किसी व्यक्ति की मौत हो जाए तो उसे शायद 50 लाख का मुआवजा दिया जाना था, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं दिया। हमारी मांग थी कि आत्महत्या करने वाले बीएलओ को चुनावी ड्यूटी पर मानकर उन्हें मुआवजा दिया जाए।

अखलाक के मामले में सरकार की याचिका रद्द किए जाने पर उन्होंने कहा कि यह अखलाक के परिवार की जीत है। सरकार की मंशा को अदालत ने खत्म कर दिया। भीड़ ने इस अखलाक को मौत के घाट उतारा था। हमें उम्मीद है कि उनके परिवार को न्याय मिलेगा।

Point of View

यह स्पष्ट है कि शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी बच्चों को समान अवसर मिले, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय से हों। यदि किसी विधेयक में समस्याएँ हैं, तो उन्हें सुधारने का प्रयास होना चाहिए, न कि शिक्षा को बाधित करने का।
NationPress
23/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या मदरसा शिक्षकों का संरक्षण विधेयक शिक्षा को प्रभावित करेगा?
हाँ, कमाल अख्तर के अनुसार, यह विधेयक मदरसा शिक्षकों की नौकरियों पर असर डाल सकता है, जिससे हजारों बच्चे शिक्षित नहीं हो पाएंगे।
क्या बीएलओ की मृत्यु पर मुआवजा दिया जाएगा?
कमाल अख्तर ने कहा कि चुनाव में लगे बीएलओ की मृत्यु होने पर उन्हें मुआवजा नहीं मिला, जबकि यह आवश्यक था।
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