क्या कनिष्क त्रासदी की 40वीं बरसी पर हरदीप पुरी कॉर्क में 329 पीड़ितों को याद करेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- कनिष्क त्रासदी ने 329 लोगों की जान ली।
- हरदीप पुरी आयरलैंड में श्रद्धांजलि देंगे।
- यह घटना विमानन इतिहास में सबसे क्रूर आतंकी हमलों में से एक है।
- पीड़ितों के परिवारों के साथ सहानुभूति दर्शाना आवश्यक है।
- ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद यह हमला हुआ था।
नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। एयर इंडिया की उड़ान 182 'कनिष्क' की दुखद त्रासदी को सोमवार को 40 वर्ष पूरे हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने रविवार को सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए यह घोषणा की कि वह एक उच्च स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ आयरलैंड के कॉर्क स्थित अहाकिस्टा मेमोरियल पर 23 जून के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देंगे।
हरदीप सिंह पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "1985 में हवाई अड्डे के हीथ्रो से कॉर्क की ओर जाते समय एयर इंडिया की फ्लाइट 182 कनिष्क के मिड-एयर बम धमाके में 329 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। यह घटना आयरलैंड के तट के पास घटी और विमानन इतिहास के सबसे क्रूर आतंकी हमलों में गिनी जाती है। मैंने सितंबर 2019 में टोरंटो के हंबर बे पार्क में कनिष्क मेमोरियल पर पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने का अवसर पाया था, जहां मैंने कई पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उनका दर्द और पीड़ा साझा की थी।"
उन्होंने आगे लिखा, "सोमवार, यानी 23 जून 2025 को, मैं एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करूंगा जिसमें पंजाब के वरिष्ठ नेता तरुण चुघ, विभिन्न राज्यों के विधायक- अरविंदर लवली, बलदेव सिंह औलख, गुरवीर सिंह और त्रिलोक सिंह चीमा शामिल होंगे। हम आयरलैंड के प्रधानमंत्री माइकल मार्टिन, कनाडा के पब्लिक सेफ्टी मंत्री गैरी अनंदसंगरी और अन्य गणमान्य अतिथियों के साथ मिलकर कॉर्क के अहाकिस्टा मेमोरियल पर इस दुखद दिवस की 40वीं बरसी पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। यह एक गहन स्मृति और एकता का क्षण होगा।"
गौरतलब है कि कनाडा के मॉन्ट्रियल से नई दिल्ली आ रही एयर इंडिया की उड़ान-182 में 23 जून 1985 को लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर उतरने से 45 मिनट पहले विस्फोट हो गया था। चालक दल सहित विमान में सवार सभी 329 लोग मारे गए थे। मरने वालों में ज्यादातर भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक थे। बम विस्फोट के लिए खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया गया था।
यह माना जाता है कि यह हमला 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' के खिलाफ प्रतिक्रिया के रूप में किया गया था। भारतीय सेना ने पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के अंदर छिपे आतंकवादियों के खिलाफ 1984 में 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' चलाया था।