क्या ऑडियो पॉडकास्ट में भावनाओं की गहराई होती है? करण जौहर का नजरिया

सारांश
Key Takeaways
- ऑडियो पॉडकास्ट में कैमरा नहीं होता, जिससे बातचीत में गहराई आती है।
- आरामदायक माहौल मेहमानों को अपनी बात खुलकर रखने में मदद करता है।
- यह एक निजी और भावुक अनुभव प्रदान करता है।
मुंबई, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। फिल्म निर्देशक करण जौहर ने ऑडियो पॉडकास्ट के बारे में अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि ऑडियो पॉडकास्ट में भावनाएं बहुत गहराई से महसूस होती हैं, क्योंकि इसमें कैमरा नहीं होता, जिससे लोग अधिक आराम से और खुलकर अपनी बातें साझा कर पाते हैं। इसी कारण से पॉडकास्ट एक बहुत ही निजी और भावुक वातावरण बनाता है।
करण जौहर ने हाल ही में अपना ऑडियो पॉडकास्ट 'लिव योर बेस्ट लाइफ विद करण जौहर' लॉन्च किया। राष्ट्र प्रेस से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि यह तरीका विशेष और करीबी अनुभव प्रदान करता है। इस दौरान लोग बहुत आराम से बातचीत करते हैं, जिससे सुनने वाले को ऐसा लगता है कि वे सीधे उनसे जोड़ रहे हैं।
करण जौहर ने कहा, "इसमें केवल एक माइक्रोफोन, आप और होस्ट होते हैं। यह तरीका शो में आए मेहमानों को आरामदायक महसूस कराता है, उन्हें किसी का डर नहीं होता, और वे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं।"
जब राष्ट्र प्रेस ने पूछा कि क्या मेहमान ऑडियो में वीडियो की तुलना में अधिक खुलकर बातें करते हैं, तो करण ने कहा कि कैमरा न होने से उन पर कोई दबाव नहीं होता। इसीलिए मेहमान अधिक सच्चाई और गहराई से अपनी बातें कह पाते हैं।
करण ने कहा, "पॉडकास्ट में एक खास तरह की नजदीकी का अनुभव होता है। जब भी मैं किसी मेहमान का इंटरव्यू करता हूं, तो मुझे लगता है कि उन्हें ऐसा सुरक्षित वातावरण देना बहुत जरूरी है, जहां वे आराम से अपनी बातें कह सकें, बिना किसी डर या जजमेंट के और उन्हें पूरा सपोर्ट मिले। पॉडकास्ट में कैमरे का दबाव नहीं होता, बस एक माइक्रोफोन, आप और होस्ट होते हैं।"
करण जौहर ने कहा, "जब कैमरा नहीं होता तो लोग अधिक आराम से अपने दिल और दिमाग की बात करते हैं। इससे एक गहरा और विशेष रिश्ता बनता है, जो कैमरे पर नहीं बन पाता। मुझे खुशी है कि इस शो में मैंने लोगों को उनकी असल और सच्ची पहचान में देखा।"