क्या कारगिल विजय दिवस बर्फीली चोटियों पर बहादुरी और बलिदान की अमर गाथा है?

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क्या कारगिल विजय दिवस बर्फीली चोटियों पर बहादुरी और बलिदान की अमर गाथा है?

सारांश

कारगिल विजय दिवस एक ऐसा अवसर है जब हम अपनी सेना के अद्वितीय साहस और बलिदान को याद करते हैं। यह दिन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि देश की रक्षा के लिए क्या कीमत चुकाई गई है। आइए, जानते हैं इस महाक्रांति के बारे में।

Key Takeaways

  • कारगिल विजय दिवस हर साल २६ जुलाई को मनाया जाता है।
  • भारतीय सेना ने १९९९ में अद्वितीय साहस का प्रदर्शन किया।
  • इस युद्ध में ५२७ वीरों की शहादत हुई।
  • कारगिल युद्ध ने भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत को साबित किया।
  • यह दिन हमें अपने सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट करने का अवसर देता है।

नई दिल्ली, २५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कारगिल की बर्फीली चोटियों पर लगभग दो महीने तक चली लड़ाई, जिसमें तोलोलिंग और टाइगर हिल जैसे ऊंचे स्थान शामिल थे, के बाद भारतीय सेना ने विजय की घोषणा की। हर साल २६ जुलाई को भारत में कारगिल विजय दिवस उन सैनिकों के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने इस युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी। कैप्टन मनोज कुमार पांडे, कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन अमोल कालिया, लेफ्टिनेंट बलवान सिंह से लेकर ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव और नायक दिगेंद्र कुमार जैसे कई वीर इस लड़ाई के नायक रहे हैं, जिन्हें देश कभी नहीं भूल सकता।

यह युद्ध मई से जुलाई १९९९ तक चला। १०,००० फीट की ऊंचाई पर स्थित, बटालिक, कारगिल, लेह और बाल्टिस्तान के बीच की रणनीतिक स्थिति के कारण कारगिल युद्ध का केंद्र बिंदु बना।

इस युद्ध के दौरान, बटालिक मुख्य युद्ध क्षेत्रों में से एक था। दुश्मन से लड़ने के अलावा, भारतीय सैनिकों को दुर्गम इलाकों और ऊंचाई पर भी संघर्ष करना पड़ा। भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' के अंतर्गत पाकिस्तानी घुसपैठियों से कारगिल की ऊंचाइयों को प्राप्त किया। यह युद्ध भारतीय सशस्त्र बलों की राजनीतिक दृढ़ता, सैन्य कौशल और कूटनीतिक संतुलन का प्रतीक है।

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने की कोशिश दशकों से की है। १९९०१९९९ का कारगिल युद्ध हुआ।

संघर्ष की शुरुआत पाकिस्तानी सैनिकों की घुसपैठ से हुई। 'ऑपरेशन बद्र' के तहत पाकिस्तान ने कारगिल क्षेत्र में अपने सैनिकों और आतंकवादियों को गुप्त रूप से भेजा। भारतीय सेना ने मई १९९९ के पहले हफ्ते में ही घुसपैठ का पता लगा लिया।

कैप्टन सौरभ कालिया सहित भारतीय गश्ती सैनिकों को पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया और उन्हें बेरहमी से प्रताड़ित करके मार दिया, जिसका खुलासा ऑटोप्सी रिपोर्ट से हुआ। ९ मई को पाकिस्तानियों ने भारी गोलाबारी शुरू की।

भारतीय सेना मई के मध्य में कश्मीर घाटी से अपने सैनिकों को कारगिल सेक्टर में स्थानांतरित करती है। मई के अंत में भारतीय वायुसेना भी इस युद्ध में शामिल हो गई।

शुरुआत में भारतीय सेना को हैरानी हुई, लेकिन दृढ़ निश्चयी भारतीय सेना ने कई ठिकानों और चौकियों पर कब्जा कर लिया। १३ जून को तोलोलिंग की चोटी भारतीय सेना के कब्जे में आ गई, जो युद्ध का रुख बदलने वाली पहली महत्वपूर्ण जीत थी।

ध्यान दें कि ४ जुलाई को भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया।

भारतीय वायुसेना ने 'ऑपरेशन सफेद सागर' के तहत सक्रिय भूमिका निभाई।

इस लड़ाई में एक और सफलता २० जून को मिली, जब लेफ्टिनेंट कर्नल योगेश कुमार जोशी के नेतृत्व में भारतीय सेना ने एक पॉइंट पर कब्जा किया।

अगले महत्वपूर्ण लक्ष्य पॉइंट ४८७५ पर कब्जा करना था। से ७ जुलाई तक यह लड़ाई चली, जिसमें भारत को सफलता मिली।

पाकिस्तान धीरे-धीरे घुटने टेकने लगा, और २५ जुलाई को उसे पीछे हटना पड़ा। २६ जुलाई को आधिकारिक तौर पर कारगिल युद्ध की समाप्ति हुई, जिसमें भारत विजयी रहा।

हालांकि, भारत ने इस जंग में ५२७ वीरों को खोया, जबकि १३६३ जवान घायल हुए। इन्हीं की याद में २६ जुलाई को भारत कारगिल विजय दिवस मनाता है।

Point of View

NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

कारगिल विजय दिवस कब मनाया जाता है?
यह हर साल २६ जुलाई को मनाया जाता है।
कारगिल युद्ध कब हुआ था?
कारगिल युद्ध मई १९९९ से जुलाई १९९९ तक चला।
इस युद्ध में भारत ने कितने वीरों को खोया?
भारत ने इस जंग में ५२७ वीरों को खोया।
कारगिल युद्ध का मुख्य केंद्र क्या था?
कारगिल युद्ध का मुख्य केंद्र बटालिक और कारगिल क्षेत्र था।
इस युद्ध में कौन-कौन से ऑपरेशन किए गए?
इस युद्ध में 'ऑपरेशन विजय' और 'ऑपरेशन सफेद सागर' शामिल थे।