क्या कर्नाटक विधानसभा ने हेट स्पीच रेगुलेशन बिल पारित किया?

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क्या कर्नाटक विधानसभा ने हेट स्पीच रेगुलेशन बिल पारित किया?

सारांश

कर्नाटक विधानसभा ने हेट स्पीच और हेट क्राइम विधेयक को पारित किया है, जो राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। इस विधेयक में हेट क्राइम के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है, जबकि विपक्ष इसे राजनीतिक नियंत्रण की कोशिश मानता है। क्या यह विधेयक सही दिशा में एक कदम है?

Key Takeaways

  • हेट स्पीच और हेट क्राइम के मामलों में कड़ी सजाएँ
  • गृह मंत्री ने विधेयक के प्रावधानों की व्याख्या की
  • राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास

बेलगावी, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक विधानसभा ने गुरुवार को विपक्षी भाजपा के विरोध के बीच कर्नाटक हेट स्पीच और हेट क्राइम (रोकथाम एवं नियंत्रण) विधेयक, 2025 को पारित कर दिया।

गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने विधेयक को मतदान के लिए प्रस्तुत किया। विधानसभा के अध्यक्ष यू.टी. खदर ने मत विभाजन के बाद घोषणा की कि सदन के बहुमत सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया, जिससे यह पारित हो गया। परमेश्वर ने बाद में विधेयक के प्रावधानों पर विवरण भी दिया। यह विधेयक 10 दिसंबर को विधानसभा में पेश किया गया था।

उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कहा कि विधानसभा में हेट स्पीच रेगुलेशन बिल को पेश करना “राज्य में शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने” के लिए सरकार के एजेंडे का हिस्सा है।

विधेयक में हेट क्राइम की परिभाषा देते हुए कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के प्रति धर्म, नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जेंडर, यौन अभिविन्यास, जन्म स्थान, निवास, भाषा, दिव्यांगता, जनजाति, या पीड़ित के परिवार के सदस्य की विशेषताओं अथवा ऐसे किसी समूह से उसके संबंध के आधार पर नुकसान पहुंचाता है, नुकसान के लिए उकसाता है, या घृणा फैलाता/प्रचारित करता है, तो वह हेट क्राइम का दोषी होगा।

कांग्रेस सरकार ने यह विधेयक मंगलुरु में हुई बदले की हत्याओं की श्रृंखला के बाद तैयार किया, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा की थी। आगे की हिंसा रोकने के लिए एक विशेष बल गठित किया गया है और संभावित अशांति फैलाने वाली सोशल मीडिया गतिविधियों पर नजर रखने के लिए समर्पित इकाइयां बनाई गई हैं।

विधेयक के तहत हेट क्राइम में दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की कैद, या 5,000 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। यह अपराध असंज्ञेय (नॉन-कॉग्निज़ेबल) और गैर-जमानती होगा तथा प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय रहेगा।

हेट स्पीच के मामलों में भी तीन साल तक की कैद या 5,000 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है। यह अपराध भी असंज्ञेय और गैर-जमानती होगा। बार-बार अपराध करने पर 10 साल तक की कैद का प्रस्ताव है।

इससे पहले केंद्रीय खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने हेट स्पीच के लिए 10 साल की सजा के प्रावधान की आलोचना करते हुए कहा था कि यह कांग्रेस की “क्रूर परंपरा” को दर्शाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कानून जनता में भय का माहौल बनाता है और इसे राजनीतिक नियंत्रण की दुर्भावनापूर्ण मंशा से लाया गया है।

जोशी ने कहा, “कांग्रेस-नेतृत्व वाली राज्य सरकार इस तरह सभी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीन रही है। यह विधेयक कांग्रेस की क्रूर विरासत को दिखाता है और सरकार के कुप्रशासन का आईना है।”

Point of View

क्योंकि यह राज्य में बढ़ती हिंसा और हेट स्पीच की घटनाओं को नियंत्रण में लाने का प्रयास है। हालांकि, इसे राजनीतिक दृष्टि से भी देखा जा रहा है। यह देखना होगा कि कैसे यह विधेयक लोगों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संतुलित करता है।
NationPress
18/12/2025

Frequently Asked Questions

कर्नाटक हेट स्पीच विधेयक में क्या प्रावधान हैं?
इस विधेयक में हेट स्पीच के मामलों में तीन साल की कैद या 5,000 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों की सजाएँ हैं।
क्या यह विधेयक असंज्ञेय और गैर-जमानती है?
हाँ, यह विधेयक हेट क्राइम और हेट स्पीच को असंज्ञेय और गैर-जमानती अपराधों के रूप में परिभाषित करता है।
कांग्रेस सरकार ने यह विधेयक क्यों पेश किया?
यह विधेयक मंगलुरु में हुई हत्याओं के बाद राज्य में बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए पेश किया गया है।
क्या विपक्ष ने इस विधेयक का विरोध किया?
हाँ, विपक्षी भाजपा ने इस विधेयक का विरोध किया है और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है।
विधेयक में हेट क्राइम की परिभाषा क्या है?
इसमें धर्म, नस्ल, जाति, लिंग आदि के आधार पर किसी व्यक्ति को नुकसान पहुँचाने या घृणा फैलाने की कार्रवाई को हेट क्राइम माना जाता है।
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