क्या आप जानते हैं कार्तिक अमावस्या पर क्या करें? महाउपाय से दूर होंगे रोग-दोष, मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

Key Takeaways
- कार्तिक अमावस्या का महत्व धार्मिक और सामाजिक है।
- इस दिन दीपदान और अन्न दान करना चाहिए।
- पितरों की आत्मा को शांति देने के लिए उपाय करें।
- गंगाजल से स्नान करने से पुण्य मिलता है।
- पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना शुभ है।
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि मंगलवार शाम 5 बजकर 54 मिनट तक रहेगी। इसके बाद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा शुरू हो जाएगी। इस दिन दर्श और कार्तिक अमावस्या भी है।
द्रिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार के दिन सूर्य तुला राशि और चंद्रमा सुबह 9 बजकर 36 मिनट से कन्या राशि में रहेंगे। इसके बाद तुला राशि में गोचर करेंगे। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय 2 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर 4 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
अमावस्या का समय 20 अक्टूबर दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 21 अक्टूबर 5 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
कार्तिक अमावस्या का धार्मिक महत्व भी अत्यंत अधिक है। ब्रह्म पुराण के अनुसार, इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं। वहीं, पद्म पुराण में बताया गया है कि इस दिन दीपदान करने से अक्षय पुण्य मिलता है।
स्कंद पुराण के अनुसार, कार्तिक अमावस्या पर गीता पाठ, अन्न दान, और भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करना चाहिए। ये कार्य सभी पापों का नाश करते हैं और साथ ही, जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं। अन्न दान से चिरंजीवी होने का फल मिलता है, जो हजारों गायों के दान के समान पुण्य देता है।
कार्तिक अमावस्या पर तीर्थ स्नान और दान का विशेष महत्व है। घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करने से तीर्थ स्नान का पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन कपड़े, अन्न, और वस्त्र दान करें। यह दान अक्षय फल देता है और रोग, शोक, और दोष से मुक्ति दिलाता है।
पद्म और मत्स्य पुराण में भी इस दिन के दान को विशेष फलदायी बताया गया है। दीपदान करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
दर्श अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा को शांति देने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। ये उपाय चंद्र दोष को शांत करने, जीवन की बाधाएं हटाने और सकारात्मक बदलाव लाने में प्रभावी माने जाते हैं। इस रात पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है। दीपक में काले तिल डालकर इसे पीपल के नीचे रखें, पितरों का स्मरण करें, क्षमा मांगें और अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद पीपल की परिक्रमा करें। यह उपाय पितरों की आत्मा को शांति देता है और जीवन में रुके कामों में गति मिलती है।
इसके अलावा, गरीबों को दान देना, शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाना, और 'ऊं नमः शिवाय' मंत्र का जाप करना भी लाभकारी है। ये कार्य नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं।