क्या करवा चौथ पर वास्तु शास्त्र के नियम लाएंगे वैवाहिक जीवन में खुशहाली?

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क्या करवा चौथ पर वास्तु शास्त्र के नियम लाएंगे वैवाहिक जीवन में खुशहाली?

सारांश

करवा चौथ के इस पावन अवसर पर जानिए कैसे वास्तु शास्त्र के नियम आपके वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि ला सकते हैं। इस लेख में दिशा-निर्देशों और विशेष पूजा विधियों के बारे में जानें जो आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने में मदद करेंगे।

Key Takeaways

  • सरगी ग्रहण करने के लिए दक्षिण-पूर्व दिशा का चयन करें।
  • पूजा करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा सर्वोत्तम है।
  • लाल या पीली चूड़ियां पहनें, जो शुभता का प्रतीक हैं।
  • सही वस्तुओं का संयोजन व्रत की ऊर्जा को बढ़ाता है।

नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। करवा चौथ एक ऐसा त्योहार है जिसे हिंदू धर्म में विशेष मान्यता प्राप्त है, और इसे विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र तथा सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए मनाती हैं। यह व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। करवा चौथ का महत्व केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई वास्तु शास्त्र से जुड़ी मान्यताएं भी हैं, जो वैवाहिक जीवन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने का सुझाव देती हैं।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, करवा चौथ के व्रत में कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशों का पालन करना आवश्यक है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।

सबसे पहले सरगी ग्रहण करने के लिए सही दिशा का चयन करना चाहिए। दक्षिण-पूर्व दिशा को सरगी लेने के लिए सबसे उचित माना गया है, क्योंकि यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण होती है। इसके बाद पूजा के समय भी दिशा का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। करवा चौथ की पूजा करते समय कभी भी दक्षिण दिशा की ओर मुख करके प्रार्थना नहीं करनी चाहिए। पूजा करते समय चेहरा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए, ताकि आपकी मन्नत पूरी हो और घर में सुख-शांति बनी रहे।

करवा चौथ की व्रत कथा सुनना या पढ़ना भी पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसे करते समय उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके कथा सुनना शुभ माना जाता है। यह दिशा ज्ञान और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है, जो व्रत की सफलता और वैवाहिक जीवन में स्थिरता लाने में मदद करती है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए भी वास्तु के अनुसार उत्तर-पश्चिम दिशा सर्वोत्तम होती है। चंद्रमा को दूध में जल मिलाकर अर्घ्य देना शुभ माना जाता है, क्योंकि इससे पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

पारंपरिक पूजा थाली में जल, लाल सिंदूर, फूल, मिठाई और दीपक रखना भी आवश्यक होता है। इन वस्तुओं का सही ढंग से संयोजन व्रत की ऊर्जा को बढ़ाता है और घर में सौभाग्य लाता है। इस खास दिन महिलाओं को लाल या पीली चूड़ियां पहननी चाहिए, क्योंकि ये रंग शुभता और सकारात्मकता का प्रतीक हैं। इन रंगों के पहनावे से न केवल वातावरण में सकारात्मकता आती है, बल्कि पति-पत्नी के संबंधों में भी मिठास बढ़ती है।

वास्तु शास्त्र की मानें तो इन नियमों का पालन करने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और स्थिरता बनी रहती है।

इस साल करवा चौथ की तिथि 9 अक्टूबर को रात 10:54 बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर शाम 7:38 बजे तक रहेगी। हालांकि, चंद्रमा के उदय का समय और तिथि का मेल करवा चौथ व्रत के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस बार चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की देर रात से शुरू हो रही है, लेकिन उस दिन चंद्रमा का उदय तृतीया तिथि में होगा, जबकि 10 अक्टूबर को चंद्रमा का उदय चतुर्थी तिथि के बाद ही होगा। इसलिए, पारंपरिक गणना के अनुसार इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर, यानी शुक्रवार को रखा जाएगा।

Point of View

मेरा मानना है कि करवा चौथ केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की गहराई और विवाहित जीवन की सुंदरता का प्रतीक है। यह दिन न केवल पतियों के लिए, बल्कि पत्नियों के लिए भी एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
NationPress
05/10/2025

Frequently Asked Questions

करवा चौथ क्या है?
करवा चौथ एक भारतीय त्योहार है, जिसे विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए मनाती हैं।
करवा चौथ पर क्या करना चाहिए?
इस दिन महिलाओं को व्रत रखना होता है और चंद्रमा को अर्घ्य देना होता है।
वास्तु शास्त्र का क्या महत्व है?
वास्तु शास्त्र घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-शांति बनाए रखने में मदद करता है।
सरगी ग्रहण करने का सही दिशा क्या है?
दक्षिण-पूर्व दिशा को सरगी ग्रहण करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
करवा चौथ का व्रत कब मनाया जाता है?
इस साल करवा चौथ 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा।