क्या करवा चौथ पर बाजारों में खास रौनक देखने को मिलती है, डिजाइनर करवे क्यों बने महिलाओं की पहली पसंद?
सारांश
Key Takeaways
- करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
- इस दिन महिलाएं सजने-संवरने पर ध्यान देती हैं।
- बाजारों में करवे और पूजा के सामान की भरमार होती है।
- इस साल करवा चौथ 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
- महिलाएं इस त्योहार की तैयारी पहले से शुरू कर देती हैं।
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पूरे देश में करवा चौथ का त्योहार धूमधाम और आस्था के साथ मनाया जाता है। यह दिन हर विवाहित महिला के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस व्रत का संबंध पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य से है। इस अवसर पर बाजारों में भी विशेष रौनक देखी जाती है।
महिलाएं इस दिन दुल्हन की तरह सजती हैं। सुहाग का प्रतीक लाल साड़ी, सिंदूर, चूड़ियां, बिंदिया, महावर और गहनों से सजी महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। इस व्रत के लिए महिलाएं कई दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर देती हैं। घरों में सजावट, पूजा की थालियां सजाना और करवे खरीदना सब पहले से किया जाता है।
गुरुवार को बाजारों में सुबह से भारी भीड़ रही। पंजाब के मोगा के बाजारों में महिलाएं मेंहदी लगवाने और पारंपरिक चूड़ियां खरीदने में व्यस्त थीं। मेंहदी कलाकारों की दुकानों पर महिलाओं की लंबी कतारें देखी गईं।
वहीं, वाराणसी में भी करवा चौथ के बाजारों में जबरदस्त रौनक दिखाई दी। दुकानों में पारंपरिक करवे, पूजा की थालियां और श्रृंगार के सामानों की भरमार है। इस बार मिट्टी और स्टील के डिजाइनर करवे खास आकर्षण बने हुए हैं। रंग-बिरंगे करवे और सुंदर सजावट की थालियां महिलाओं को काफी पसंद आ रही हैं।
व्यापारियों का कहना है कि इस बार पिछले सालों की तुलना में करवा चौथ के बाजार में ज्यादा रौनक है। खरीदारी बढ़ने से कारोबारियों के चेहरे पर मुस्कान है। महिलाएं पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ अपने इस प्रिय त्योहार की तैयारियों में जुटी हैं।
गौरतलब है कि करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं। इस बार करवा चौथ 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा।