क्या काशी में महागौरी और अन्नपूर्णा माता की पूजा से श्रद्धालु हुए उमड़ते?

सारांश
Key Takeaways
- महागौरी और अन्नपूर्णा की पूजा में विशेष महत्व है।
- अष्टमी के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है।
- काशी का अन्नपूर्णा मंदिर धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- भक्तजन माता के आशीर्वाद से समृद्धि की कामना करते हैं।
- नवरात्रि का पर्व सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।
वाराणसी, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। धर्म नगरी काशी में शारदीय नवरात्रि के इस पावन अवसर पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी और मां अन्नपूर्णा की आराधना का अद्वितीय उत्साह देखने को मिल रहा है। नवरात्रि के दौरान जहाँ नौ दुर्गा स्वरूपों की पूजा की जाती है, वहीं काशी में नौ गौरी की पूजा का एक विशेष विधान भी है।
प्रत्येक गौरी स्वरूप के लिए अलग मंदिर, आह्वान मंत्र और पूजा विधि निर्धारित की गई है। अष्टमी तिथि पर पंचगंगा घाट क्षेत्र के मंगला गौरी मंदिर और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट मां अन्नपूर्णा मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।
सुबह से ही माता के दर्शन-पूजन का क्रम आरंभ हो चुका है। भक्तजन मां महागौरी और मां अन्नपूर्णा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उत्साहित हैं।
दुर्गा सप्तशती में उल्लेख है कि शुंभ-निशुंभ से पराजित देवताओं ने गंगा तट पर महागौरी की प्रार्थना की थी, जिनके अंश से कौशिकी का जन्म हुआ और उन्होंने दैत्यों के आतंक से देवताओं को मुक्ति दिलाई।
मां अन्नपूर्णा मंदिर के पुजारी अर्जुन पांडेय ने कहा, "अष्टमी के दिन माता के आठवें स्वरूप महागौरी के दर्शन होते हैं। श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और माता उनके सारे कष्ट दूर करती हैं। मां अन्नपूर्णा हिमाचल की पुत्री और अन्न की देवी हैं। कहा जाता है, 'हिमाचल की पुत्री तू ही शंभू रानी, नमो अन्नपूर्णा नमो अन्नदाता भवानी।' भगवान विश्वनाथ भी यहाँ भिक्षा लेने आए थे। माता के दर्शन और परिक्रमा से धन-दौलत, यश-कीर्ति प्राप्त होती है।"
श्रद्धालु राजकुमारी ने कहा, "यहाँ भक्त पहले मां अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं, फिर 108 परिक्रमा करते हैं। सभी देवियों में एक ही शक्ति है, बस नाम अलग हैं।"
वहीं, प्रीति ने बताया, "माता के दर्शन से जीवन में समृद्धि आती है। मां महागौरी और दुर्गा के स्वरूप में यहाँ विराजमान हैं।"
काशी का अन्नपूर्णा मंदिर काफी प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इस मंदिर में आदिशंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्तोत्र की रचना की थी।
पुराणों में वर्णित है कि भगवान शिव ने स्वयं मां अन्नपूर्णा से अन्न की भिक्षा मांगी थी। माता के स्वर्णमयी स्वरूप के सामने भिक्षा मांगते हुए भगवान शिव की रजत प्रतिमा के दर्शन के लिए देश भर से श्रद्धालु यहाँ आते हैं।