क्या काशी में श्रद्धालुओं की भीड़ ने गंगा स्नान और बाबा विश्वनाथ के दर्शन का आनंद लिया?

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क्या काशी में श्रद्धालुओं की भीड़ ने गंगा स्नान और बाबा विश्वनाथ के दर्शन का आनंद लिया?

सारांश

शरद पूर्णिमा के अवसर पर काशी में श्रद्धालुओं की भीड़ ने गंगा स्नान और बाबा विश्वनाथ के दर्शन का आनंद लिया। इस धार्मिक पर्व पर भक्तों ने अपनी आस्था और भक्ति का प्रदर्शन किया। जानिए इस पावन अवसर पर काशी का माहौल और श्रद्धालुओं के अनुभव।

Key Takeaways

  • शरद पूर्णिमा पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
  • श्रद्धालुओं ने अपने अनुभव साझा किए।
  • इस बार गंगा में जलस्तर बढ़ने से भीड़ कम रही।
  • काशी की सांस्कृतिक धरोहर को मान्यता मिली।
  • पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए।

वाराणसी, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। धर्म और आध्यात्मिकता की नगरी काशी में शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर मंगलवार को गंगा के घाटों पर श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या देखने को मिली। शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को मनाई गई। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि है। इस बार पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर को शाम 8:49 बजे शुरू हुई और 7 अक्टूबर 2025 को सुबह 9:18 बजे तक रही।

मंगलवार तड़के भक्तों ने मां गंगा में स्नान कर पुण्य प्राप्त किया और बाबा श्री काशी विश्वनाथ, मां अन्नपूर्णा और संकट मोचन मंदिर में दर्शन-पूजन किया। पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से आए श्रद्धालु इस पवित्र दिन पर मां लक्ष्मी और कुबेर की विशेष पूजा में शामिल हुए।

शरद पूर्णिमा को शारदीय नवरात्रि का समापन और कार्तिक मास की शुरुआत से पहले का आखिरी दिन माना जाता है। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है, जिससे सुख-समृद्धि की कामना पूरी होती है। हालांकि, इस बार गंगा में जलस्तर बढ़ने के कारण भीड़ पिछले वर्षों की तुलना में कम रही।

श्रद्धालु प्रेम कुमार ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, “मैंने गंगा में स्नान किया और अब बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए जा रहा हूं। यहां आकर मुझे जो आनंद मिला, उसे शब्दों में बयान नहीं कर सकता।”

अर्चना शर्मा ने कहा, “मैं प्रार्थना करती हूं कि भगवान सबका भला करें, विश्व में शांति हो और आतंक, बाढ़, प्रलय जैसी आपदाएं समाप्त हों। गंगा स्नान और दर्शन के बाद मुझे बहुत शांति मिली है। यहां आकर सारे दुख भूल गए हैं।”

गजानंद पांडे ने बताया, “शरद पूर्णिमा का स्नान और दान परिवार में सुख-समृद्धि लाता है। गंगा स्नान के बाद हम बाबा विश्वनाथ के दर्शन करते हैं। इस बार जलस्तर बढ़ने से भीड़ कम है, वरना हर साल घाटों पर भारी भीड़ होती थी।”

संजीव ने कहा, “काशी पावन नगरी है। यहां आकर दैवीय आनंद की अनुभूति होती है। कल शाम से यहां हूं और मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।”

पुलिस और प्रशासन ने घाटों और मंदिरों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सफाई और अन्य व्यवस्थाएं भी की गईं। स्थानीय लोग और पुजारी इस पर्व को काशी की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा मानते हैं। काशी में इस अवसर पर आध्यात्मिक माहौल और भक्ति की लहर देखने को मिली।

Point of View

जलस्तर बढ़ने के कारण भीड़ पिछले वर्षों की तुलना में कम थी, किंतु श्रद्धालुओं की भक्ति और आस्था अटूट रही। यह पर्व काशी की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है और हमें अपनी धार्मिकता को बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
NationPress
07/10/2025

Frequently Asked Questions

शरद पूर्णिमा का महत्व क्या है?
शरद पूर्णिमा का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टिकोण से है। यह दिन विशेष रूप से मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा के लिए जाना जाता है।
गंगा स्नान के क्या लाभ हैं?
गंगा स्नान से पुण्य की प्राप्ति होती है और यह मानसिक शांति और समृद्धि के लिए लाभदायक माना जाता है।