क्या महामृत्युंजय महादेव मंदिर में भगवान धन्वंतरि ने कुएं में औषधियां डाली थीं?

सारांश
Key Takeaways
- महामृत्युंजय महादेव मंदिर का धार्मिक महत्व है।
- यहां आने से रोग मुक्ति की आशा होती है।
- कुएं का पानी चमत्कारी माना जाता है।
- भगवान धन्वंतरि से जुड़ी कथाएं मंदिर को विशेष बनाती हैं।
- यह स्थान स्वास्थ्य और आस्था का प्रतीक है।
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में कई मंदिर हैं, जो अपनी विशेष मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। कुछ मंदिरों में दर्शन करने से न्यायालय के मामलों में राहत मिलती है, वहीं कुछ ऐसे भी हैं, जहां रोगियों की स्वास्थ्य की कामना लेकर भक्त आते हैं। वाराणसी में महामृत्युंजय महादेव का मंदिर ऐसा ही एक स्थान है, जहां श्रद्धालु रोग मुक्ति के लिए आते हैं।
धनतेरस का पर्व निकट है, इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व है। भगवान धन्वंतरि को औषधियों का देवता माना जाता है, जिनकी कृपा से सभी प्रकार की बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। वाराणसी में भगवान शिव और धन्वंतरि का एक ऐसा मंदिर है, जहां जल के स्पर्श से ही रोगों का नाश होता है।
महामृत्युंजय महादेव का मंदिर उन भक्तों के लिए एक आश्रय स्थल है, जो असामयिक मृत्यु और रोगों से मुक्ति की तलाश में आते हैं। इस मंदिर को मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का स्थान भी कहा जाता है। यहां एक चमत्कारी कुआं है, जिसके बारे में कहा जाता है कि कुएं के पानी में भगवान धन्वंतरि के औषधीय गुण भरे हुए हैं, जिससे रोगों से मुक्ति मिलती है। भक्तों का मानना है कि समुद्र मंथन के बाद भगवान धन्वंतरि ने इसी कुएं में औषधियां डाली थीं, जिससे जल चमत्कारी बन गया।
मंदिर से जुड़ी एक और प्रचलित कथा है। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत के समय भगवान धन्वंतरि को तक्षक नाग ने डस लिया था। जहर के प्रभाव से बचने के लिए भगवान धन्वंतरि ने महादेव की शरण ली और इस कुएं के जल से अपनी जान बचाई। इस दौरान उन्होंने कुएं में स्वास्थ्यवर्धक औषधियां छोड़ दीं ताकि आम जनमानस की सहायता हो सके। भक्त रोगों से मुक्ति पाने के लिए कुएं के जल का सेवन करते हैं और दूर-दूर से आने वाले भक्त अपने परिवार के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जल साथ ले जाते हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं, मंदिर से जुड़े लोग मानते हैं कि कुएं का पानी कभी सूखता नहीं है और यह शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग भी मानता है कि मंदिर की मिट्टी और जल में कई औषधीय गुण मौजूद हैं।
मंदिर में केवल भगवान शिव का शिवलिंग है, जिसकी पूजा के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां महादेव की पूजा करने से मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। सावन और दिवाली के अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता है और भक्तों की भारी भीड़ लगती है।