क्या दिल्ली में 54वीं केंद्रीय विद्यालय संगठन राष्ट्रीय स्तर क्रिकेट प्रतियोगिता का आगाज हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- प्रतियोगिता का उद्देश्य: बालिकाओं को सशक्त बनाना।
- खेलों का महत्व: आत्मविश्वास और अनुशासन का विकास।
- प्रतिस्पर्धा: युवा खिलाड़ियों में प्रतिस्पर्धात्मक भावना का जागरण।
- शारीरिक फिटनेस: खेलों के माध्यम से स्वास्थ्य को बढ़ावा देना।
- सामाजिक सशक्तिकरण: नारी शक्ति को मान्यता।
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विद्यालय राष्ट्रपति संपदा के क्रिकेट मैदान पर मंगलवार को 54वीं केंद्रीय विद्यालय संगठन राष्ट्रीय स्तर क्रिकेट प्रतियोगिता (अंडर-14-बालिका वर्ग) का उद्घाटन किया गया। यह प्रतियोगिता 7-11 अक्टूबर के बीच आयोजित की जाएगी।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली संभाग के केंद्रीय विद्यालय संगठन के उपायुक्त सरदार सिंह चौहान ने दिल्ली संभाग के केंद्रीय विद्यालय संगठन के सहायक आयुक्त केसी मीणा की उपस्थिति में 'स्पोर्ट्स मीट ओपन' की घोषणा की। उद्घाटन समारोह में निर्णायक गण एवं विभिन्न संभागों से आए गणमान्य भी मौजूद रहे।
मुख्य अतिथि सरदार सिंह चौहान ने खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा, "यह प्रतियोगिता केवल एक खेल आयोजन नहीं, बल्कि नारी शक्ति, आत्मविश्वास और सामर्थ्य का प्रतीक है। खेलों में बालिकाओं की बढ़ती भागीदारी हमारे देश के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।"
इस मौके पर प्राचार्या डॉ. चारू शर्मा ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा, "केंद्रीय विद्यालय संगठन का यह प्रयास सराहनीय है, जो देशभर के विद्यालयों से आई बालिकाओं को एक मंच पर लाकर उन्हें अपनी प्रतिभा निखारने का अवसर देता है। मैं सभी प्रतिभागी छात्राओं से यही कहना चाहूंगी कि खेल को केवल प्रतिस्पर्धा के रूप में नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और आत्म विकास के माध्यम के रूप में देखें। आपके हर रन, हर कैच और प्रयास में देश की उम्मीदें और भविष्य छिपा है।"
इसके साथ ही, डॉ. चारू शर्मा ने सभी प्रतिभागियों को निष्पक्ष खेल भावना और श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए शुभकामनाएं दी।
54वीं केंद्रीय विद्यालय संगठन राष्ट्रीय स्तर क्रिकेट प्रतियोगिता न केवल छात्राओं को अपने खेल कौशल का प्रदर्शन करने का मौका देती है, बल्कि उनमें आत्मविश्वास, टीम भावना और अनुशासन का विकास भी करती है।
इस तरह की प्रतियोगिताएं युवा खिलाड़ियों में प्रतिस्पर्धात्मक भावना को जागृत करती हैं। ऐसे टूर्नामेंट उन्हें भविष्य में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए तैयार करते हैं। इसके साथ ही, खेलों के माध्यम से शारीरिक फिटनेस और मानसिक सशक्तीकरण को भी बढ़ावा मिलता है।