क्या केंद्रीय मंत्री शिवराज के तीखे तेवर से किसानों को मिलेगा न्याय?

सारांश
Key Takeaways
- किसानों के हितों की रक्षा करना जरूरी है।
- बायोस्टिमुलेंट की बिक्री पर सख्त निगरानी आवश्यक है।
- आईसीएआर द्वारा परीक्षण करना अनिवार्य है।
- किसानों की शिकायतों का गंभीरता से समाधान करना चाहिए।
- सत्यापन के बाद ही उत्पादों की बिक्री की अनुमति।
नई दिल्ली, १५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बायोस्टिमुलेंट की बिक्री को लेकर मंगलवार को आला अधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। इस बैठक में तीखे तेवर दिखाते हुए शिवराज सिंह ने स्पष्ट किया कि बायोस्टिमुलेंट के मामले में हम किसानों के साथ किसी भी स्थिति में धोखा नहीं होने देंगे।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे कोई भी अनुमति प्रदान करते समय किसानों के हितों का ध्यान रखें, हम देश के छोटे किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। शिवराज सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि कुछ बेईमान तत्व गड़बड़ी कर रहे हैं, और उन्हें बचाना उनकी जिम्मेदारी है।
वास्तव में, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल में देशभर में चलाए गए पंद्रह दिन के विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान कई राज्यों में यात्रा की और किसानों से सीधे संवाद किया। इस संवाद में कई किसानों ने नकली खाद, नकली बीज, घटिया पेस्टीसाइड, बायोस्टिमुलेंट और नैनो यूरिया की बिक्री के संबंध में शिकायतें की थीं।
शिवराज सिंह ने कहा कि भोले-भाले किसानों से मिली शिकायतों के बाद वह चुप नहीं रह सकते। कृषि मंत्री होने के नाते उनकी जिम्मेदारी है कि इस मामले में उचित कार्रवाई करें, क्योंकि किसान उनके लिए सर्वोपरि हैं।
शिवराज सिंह ने कई गंभीर सवाल उठाते हुए अधिकारियों से पूछा कि देश में बायोस्टिमुलेंट कई वर्षों से बिक रहा है, लेकिन फील्ड से बार-बार शिकायतें आती हैं कि इससे कोई लाभ नहीं हो रहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि इसकी सम्पूर्ण समीक्षा जरूरी है कि इससे किसानों को कितना लाभ हो रहा है; यदि लाभ नहीं हो रहा है, तो इसकी बिक्री की अनुमति नहीं दी जा सकती। बिना नियमों के हजारों कंपनियां इसकी बिक्री कर रही हैं, लेकिन कृषि मंत्री होते हुए अब वह किसी भी कीमत पर ऐसा नहीं होने देंगे।
शिवराज सिंह ने निर्देश देते हुए कहा कि किसानों के भरोसे के लिए बायोस्टिमुलेंट का आईसीएआर से परीक्षण भी अनिवार्य है। उन्होंने अधिकारियों के प्रति नाराजगी व्यक्त की कि कुछ सालों तक ३०,००० बायोस्टिमुलेंट उत्पाद बिकते रहे और अधिकारी आंख बंद करके देखते रहे। पिछले ४ साल से लगभग ८,००० बायोस्टिमुलेंट बिकते रहे, जब उन्होंने इस पर सख्ती की तो अब लगभग ६५० बायोस्टिमुलेंट ही बचे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बैठक में उपस्थित अधिकारियों से कहा कि कृषि विभाग और आईसीएआर किसानों के लिए है या कंपनियों के फायदे के लिए? क्या ऐसा कोई डेटा है जिससे यह पता चले कि बायोस्टिमुलेंट से उत्पादन कितना बढ़ा है?
शिवराज सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब उन्हीं बायोस्टिमुलेंट को अनुमति दी जाएगी जो सभी मापदंडों पर किसानों के हित में पूरी तरह से खरे उतरते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से साबित होने पर ही अनुमति दी जाएगी और इसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होगी।
उन्होंने सख्त निर्देशों के साथ चेतावनी दी कि आगे से कहीं कोई गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। देश के किसान उन पर पूरा भरोसा करते हैं, आईसीएआर पर किसान भरोसा करते हैं, इसलिए उनकी और वैज्ञानिकों की भी जिम्मेदारी है कि वे किसानों की भलाई के बारे में ही सोचें। किसानों की जरूरत के अनुसार ही वैज्ञानिकों और अधिकारियों को कार्य करना चाहिए। चौहान ने ब्रेनस्टार्मिंग के बाद नियम-कायदे तय करते हुए एसओपी बनाने के निर्देश भी दिए।