क्या निविन पॉली और अब्रीड शाइन के खिलाफ धोखाधड़ी मामला है?

सारांश
Key Takeaways
- केरल हाईकोर्ट ने निविन पॉली और अब्रीड शाइन के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाई।
- कोर्ट ने इसे नागरिक मामला मानते हुए सिविल कोर्ट में सुलझाने की सलाह दी।
- आरोपियों के वकील ने शिकायत में धोखाधड़ी का सबूत न होने का दावा किया।
- अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी।
कोच्चि, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केरल हाईकोर्ट ने मलयालम अभिनेता निविन पॉली और फिल्म निर्माता अब्रीड शाइन के खिलाफ 1.9 करोड़ रुपए के संदिग्ध धोखाधड़ी मामले में आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह विवाद आपराधिक नहीं, बल्कि नागरिक प्रकृति का प्रतीत होता है। इसका अर्थ है कि यह मामला पैसों के लेन-देन या समझौते से संबंधित है, न कि किसी अपराध से, इसलिए इसे सिविल कोर्ट में सुलझाना चाहिए।
जज वी.जी. अरुण ने दोनों अभियुक्तों की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद एक अस्थायी आदेश जारी किया। कोर्ट ने यह माना कि उनकी दलील उचित है, क्योंकि पुलिस की एक पुरानी रिपोर्ट में यह बताया गया था कि यह विवाद आपराधिक नहीं, बल्कि पैसों या समझौते से जुड़ा नागरिक मामला है। इसलिए शिकायतकर्ता को सिविल कोर्ट में जाकर इस मामले का समाधान खोजना चाहिए।
जज ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने बिना उचित जांच के शिकायत को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 175(3) के तहत जांच के लिए भेजने में गलती की।
यह मामला कोट्टायम के थलयोला परमबु पुलिस स्टेशन में इंडियन मूवी मेकर्स के मालिक पी.एस. शमनास की शिकायत पर दर्ज किया गया था।
पी.एस ने आरोप लगाया कि उन्होंने वर्ष 2022 की फिल्म ‘महावीर्यर’ में 3.5 से 4 करोड़ रुपए का निवेश किया, जो बॉक्स ऑफिस पर असफल रही। इसके बाद, उन्हें ‘एक्शन हीरो बिजु 2’ में सह-निर्माता की भूमिका और इसके विदेशी अधिकारों से होने वाले मुनाफे का हिस्सा देने का वादा किया गया था।
उन्होंने यह भी बताया कि आरोपियों ने फिल्म के शीर्षक के स्थानांतरण की जानकारी छिपाई और एक पुराने समझौते का उपयोग करके विदेशी अधिकार 5 करोड़ रुपए में दुबई की एक कंपनी को बेच दिए, जिससे उन्हें वित्तीय नुकसान हुआ।
निविन पॉली और अब्रीड शाइन के वकील ने तर्क किया कि शिकायत में धोखाधड़ी या विश्वासघात साबित नहीं होते। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र किया, जिसमें बिना सोचे-समझे शिकायतों को पुलिस को भेजने के खिलाफ चेतावनी दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि शमनास ने केरल फिल्म चैंबर ऑफ़ कॉमर्स में जमा किए गए दस्तावेजों में निविन पॉली के हस्ताक्षर जाली किए, जिसके लिए एक अलग शिकायत दर्ज की गई है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में कार्यवाही पर रोक लगाने के बाद अगली सुनवाई 11 सितंबर को निर्धारित की है।