क्या केरल के राज्यपाल ने थ्रीथला हिंदू धर्म परिषद के कार्यक्रम का उद्घाटन किया?
सारांश
Key Takeaways
- सनातन धर्म सभी के लिए समावेशी है।
- राज्यपाल ने बच्चों को सही संस्कार देने पर जोर दिया।
- हर मंदिर में स्कूल और अस्पताल की आवश्यकता है।
- धर्म का सही अर्थ केवल आस्था नहीं, बल्कि आचरण भी है।
- प्रधानमंत्री के 'विकसित भारत' के सपने को साकार करने की अपील।
पलक्कड़, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने थ्रीथला में हिंदू धर्म परिषद के कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सभी को एक साथ लेकर चलने वाला है और यह किसी भी प्रकार के भेदभाव से दूर है।
राज्यपाल ने आगे कहा कि सनातन धर्म के सिद्धांत बेहद व्यापक हैं। यह न तो विभाजनकारी है, न ही सांप्रदायिक और न ही किसी भी प्रकार से प्रतिबंधित है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का उल्लेख करते हुए सभी को याद दिलाया कि हिंदू पूरी दुनिया में गए, न तो विजय के लिए, न ही किसी भूमि के टुकड़े के लिए, बल्कि लोगों के दिलों को जीतने के लिए।
उन्होंने कहा कि धर्म का सही अर्थ आचरण है और यह केवल विश्वास या आस्था तक सीमित नहीं है। अगर हम अपने परिवारों और समाज में धर्म को बनाए रखेंगे, तो हमारे बच्चे भटकेंगे नहीं और वे अच्छे नागरिक बनेंगे। वेदों का हवाला देते हुए राज्यपाल ने कहा, ‘यतो धर्मस्ततो जयः’—जीत उन्हीं की होती है जो धर्म का पालन करते हैं।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि हमारे बच्चों को सही संस्कार देना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने सुझाव दिया कि हर मंदिर में एक स्कूल, एक अस्पताल और एक गोशाला होनी चाहिए, ताकि मंदिर में आने वाले चढ़ावे का उपयोग समाज के हित में किया जा सके। उन्होंने सभी से प्रधानमंत्री के ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करने के लिए प्रयास करने की अपील की।
इसके साथ ही, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने पलक्कड़ जिले के ताराकाड गांव में स्थित विशालाक्षी समिति विश्वनाथ स्वामी मंदिर में आयोजित अति रुद्र महा यज्ञम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया और इस अवसर पर पूजा-अर्चना की।