क्या खेल केवल मनोरंजन है, या उद्योग जगत में भी अपनी पहचान बना चुका है? : मनसुख मांडविया

सारांश
Key Takeaways
- खेल अब केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि उद्योग भी बन चुका है।
- भारत को स्पोर्ट्स एक्सपोर्ट एजेंट के रूप में उभरने की आवश्यकता है।
- कार्यक्रमों के माध्यम से स्पोर्ट्स साइंस और गवर्नेंस पर ध्यान देने की जरूरत है।
- खेलों के लिए एक इकोसिस्टम तैयार करना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को 'बिजनेस ऑफ स्पोर्ट्स समिट 2025' में भाग लिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में खेल केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह उद्योग में भी महत्वपूर्ण स्थान बना चुका है।
खेल मंत्री ने बताया, "यह देखकर खुशी होती है कि स्पोर्ट्स स्टार द्वारा स्पोर्ट्स साइंस, स्पोर्ट्स गवर्नेंस, स्पोर्ट्स एंटरटेनमेंट और मैन्युफैक्चरिंग जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। खेल हमारी संस्कृति का हिस्सा है, समाज का दर्पण है, यह एक पेशा है, मनोरंजन है और एक बड़ा उद्योग भी है। खेल का दायरा बहुत व्यापक है। आज के समय में खेल न केवल मनोरंजन या पेशेवर करियर के अवसर उपलब्ध कराते हैं, बल्कि व्यवसाय में भी अपना स्थान बना चुके हैं।"
मनसुख मांडविया ने कहा कि खेलों को संगठित तरीके से बढ़ावा देना आवश्यक है। अगर हम इस दिशा में गम्भीरता से काम करें, तो भारत विश्व स्तर पर एक स्पोर्ट्स एक्सपोर्ट एजेंट के रूप में उभर सकता है।
उन्होंने कहा, "2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, तब 'फिट इंडिया' का नारा दिया गया। इसके बाद खेलों में रुचि बढ़ने लगी। देश में 'फिट इंडिया' और 'खेलो इंडिया' जैसी पहल की गई। हमारे खिलाड़ियों को विभिन्न सुविधाएं दी गईं। टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम शुरू की गई ताकि खिलाड़ियों को बेहतर अवसर मिल सकें।"
खेल मंत्री ने आगे कहा, "खेलों को समग्र दृष्टिकोण से आगे बढ़ाने के लिए एक विजन डाक्यूमेंट तैयार करना होगा। इसके लिए एक योजना बनानी होगी। हमें दुनिया की बेहतरीन चीजों को अपनाना होगा, लेकिन मॉडल हमारे देश का होना चाहिए। देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। इन खिलाड़ियों को मौका देने के लिए एक इकोसिस्टम तैयार करना होगा।"