क्या खेल प्रशासन विधेयक के लिए 600 से अधिक सुझावों के बाद तैयार हुआ ड्राफ्ट?

सारांश
Key Takeaways
- खेल प्रशासन विधेयक का ड्राफ्ट 600 से अधिक सुझावों पर आधारित है।
- विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा के बाद तैयार किया गया है।
- यह विधेयक खेलों में सुशासन को सुनिश्चित करेगा।
- आगामी संसद सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा।
- खेल एक जन आंदोलन की तरह है, जिसमें सभी की भागीदारी आवश्यक है।
नई दिल्ली, 17 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार आगामी संसद सत्र में 'खेल प्रशासन विधेयक' लाने की योजना बना रही है। केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने गुरुवार को इस विधेयक के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा की गई। कई चर्चाओं के बाद हमने 'खेल प्रशासन विधेयक' तैयार किया है। आगामी संसद सत्र में इसे पेश किया जाएगा।
मनसुख मांडविया ने कहा, "मैंने 'खेल प्रशासन विधेयक' बनाने के लिए सभी हितधारकों के साथ बातचीत की। विभिन्न फेडरेशन, कोच और एथलीट्स के साथ मुलाकात की थी। 600 से अधिक लोगों के सुझाव हमें प्राप्त हुए। सभी बातों को लेकर एक अध्ययन किया गया। देश में खेल से जुड़े वकील भी हैं, जिनके साथ मैंने 3 घंटे बात की थी और उनके सुझाव लिए।"
उन्होंने बताया, "ओलंपिक काउंसिल के साथ भी बिल पर चर्चा की गई। अंतरराष्ट्रीय फाउंडेशन के साथ भी बातचीत की गई। फीफा की तरफ से एक क्वेरी आई थी, तो हमने एक स्पेशल ऑफिसर को फीफा के हेडक्वार्टर भेजा। इन सब के बाद 'खेल प्रशासन विधेयक' तैयार हुआ है। आगामी सत्र में इस बिल को संसद में पेश किया जाएगा।"
केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने गुरुवार को दिल्ली में आयोजित 'खेलो इंडिया कॉन्क्लेव' में हिस्सा लिया। मनसुख मांडविया ने केंद्रीय राज्य मंत्री रक्षा खडसे के साथ एक कार्यक्रम का उद्घाटन किया। खेल मंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि खेल एक जन आंदोलन है। अगर सभी हितधारक जैसे जनता, महासंघ, राज्य सरकार और केंद्र सरकार एक साथ आएं तो हम इस सपने को साकार कर सकते हैं।
मनसुख मांडविया ने उद्घाटन भाषण में कहा कि आप सभी को एक दिन के लिए यहां बुलाया गया है ताकि सभी एथलीटों, महासंघों और कॉर्पोरेट्स से उनके विचार जान सकें। हम इसे परिणाम में बदलना चाहते हैं। भारत यह कर सकता है, दुनिया इस पर विश्वास करती है और हमने अतीत में भी ऐसा किया है। 'खेलो भारत नीति' देश में खेल हितधारकों के बीच 'सुशासन' स्थापित करने का एक कार्यक्रम है।