क्या शशि थरूर की सोच देशहित में है, लेकिन कांग्रेस में बोलने की आजादी नहीं है?

सारांश
Key Takeaways
- शशि थरूर को बोलने की आजादी नहीं दी जाती।
- कांग्रेस का रवैया आलोचनात्मक है।
- विपक्ष में भी राष्ट्रहित में सोचने वाले सांसद हैं।
- मोदी सरकार ने अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए सख्त नीतियां बनाई हैं।
- किरेन रिजिजू ने ऑपरेशन महादेव पर विपक्ष को आड़े हाथों लिया।
नई दिल्ली, 1 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस के नेता शशि थरूर की सराहना करते हुए उनकी पार्टी के व्यवहार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि शशि थरूर एक योग्य और देशहित में सोचने वाले नेता हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी उन्हें बोलने की आजादी नहीं देती।
किरेन रिजिजू ने कहा, "शशि थरूर जैसे नेता देश के लिए अच्छा सोचते हैं, लेकिन जब वे हिम्मत करके देशहित में कुछ बोलते हैं, तो उनकी ही पार्टी की ओर से उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ता है। यह ठीक नहीं है।"
उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष में ऐसे कई सांसद हैं जो राष्ट्रहित में सोचते हैं, लेकिन अपने नेतृत्व के डर से चुप रहते हैं।
ऑपरेशन महादेव को लेकर संसद में हुई चर्चा पर भी किरेन रिजिजू ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस ऑपरेशन पर विस्तृत जानकारी दी थी, जिसका पूरे देश ने स्वागत किया, लेकिन विपक्ष, खासकर कांग्रेस ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली।
उन्होंने आगे कहा कि जब कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष यात्रा से लौटे तो संसद में विशेष चर्चा का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन कांग्रेस ने इसे रोक दिया। कांग्रेस के दो-तीन सांसदों ने कहा कि कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में जाकर कोई बड़ा काम नहीं किया, पैसा देकर कोई भी वहां जा सकता है। यह कांग्रेस की संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है।"
किरेन रिजिजू ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की गिरफ्तारी वाले बयान पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस में रहते हुए राहुल गांधी की हरकतों को करीब से देखा और उनकी सच्चाई को उजागर किया, जिससे राहुल गांधी परेशान हैं। सीएम सरमा ने राहुल गांधी की नासमझी को देश के सामने लाकर उनकी पोल खोल दी, जिसके कारण राहुल गांधी बौखलाए हुए हैं।"
किरेन रिजिजू ने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी ने ऐतिहासिक रूप से बांग्लादेशी घुसपैठियों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण दिया, जिससे असम और उत्तर पूर्व की जनसांख्यिकी और सुरक्षा पर असर पड़ा। दूसरी ओर, मोदी सरकार ने अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए सख्त नीतियां बनाईं। एक बात बिल्कुल साफ है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में अवैध घुसपैठियों को जगह नहीं मिलेगी।