क्या किसान अमरेंद्र ने अरहर दाल से तीन लाख रुपए कमाए? सरकारी योजना से प्रेरित होकर कोसी क्षेत्र में सफल खेती की
सारांश
Key Takeaways
- सरकारी योजनाओं का सही उपयोग
- आधुनिक कृषि तकनीकों का महत्व
- किसान की मेहनत और समर्पण
- स्थानीय अनुभवों से सीखना
- अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत
सहरसा, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के सहरसा जिले के तिलाठी गांव के किसान अमरेंद्र कुमार ने सरकारी योजना की सहायता से अरहर दाल की खेती में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। मुख्यमंत्री समग्र चौर विकास योजना के अंतर्गत चार एकड़ का तालाब बनने के बाद उन्होंने मत्स्य पालन शुरू किया और अब अरहर की खेती से तीन लाख रुपए कमाए हैं।
सहरसा जिले के बेस्ट फार्मर अवार्ड विजेता किसान अमरेंद्र कुमार ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस के साथ अपने अनुभव और संघर्ष की कहानी साझा की।
अमरेंद्र कुमार को अरहर की उन्नत खेती का विचार मध्य प्रदेश के एक किसान की सफलता देखकर मिला। उन्होंने फोन पर 950 रुपए में एक किलोग्राम बीज मंगवाए। इन बीजों को उन्होंने तालाब के किनारे दो एकड़ मेढ़ वाली जमीन पर एक मीटर x एक मीटर की दूरी पर बोया।
उनकी मेहनत और आधुनिक कृषि विधियों का परिणाम शानदार रहा। कुल दो एकड़ भूमि से लगभग 30 क्विंटल अरहर दाल का उत्पादन हुआ, जिसे बाजार में तीन लाख रुपए में बेचा गया। यह उनकी आय का एक महत्वपूर्ण अतिरिक्त स्रोत बन गया।
अमरेंद्र कुमार ने बताया कि उन्हें पहले विश्वास नहीं था कि कोसी क्षेत्र की भूमि पर अरहर दाल की इतनी अच्छी खेती संभव है। हालांकि, नए प्रयोगों और सरकारी योजनाओं की सहायता से यह संभव हुआ।
अमरेंद्र कुमार ने पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के नारायणपुर गांव से खेती-किसानी की तकनीक सीखी है। उन्होंने स्थानीय स्तर पर भी 10 कट्ठा जमीन में एक छोटे तालाब पर प्रयोग किया था। इस प्रारंभिक सफलता और सरकारी सहयोग ने उन्हें चार एकड़ के बड़े तालाब और अरहर की सफल खेती तक पहुँचाया।
अमरेंद्र कुमार की यह सफलता अब अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। यह दर्शाता है कि सही मार्गदर्शन, सरकारी सहायता और आधुनिक कृषि तकनीकों के उपयोग से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा सकता है।