क्या सांसद मलविंदर सिंह ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर किसानों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई?

सारांश
Key Takeaways
- किसानों का शोषण एक गंभीर समस्या है।
- महंगे बूस्टर खरीदने के लिए मजबूर होना किसानों के लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है।
- केंद्र सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
- राष्ट्रव्यापी ऑडिट और शिकायत निवारण मंच की आवश्यकता है।
- किसान आत्मनिर्भरता के लिए हकदार हैं।
चंडीगढ़, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब के सांसद मलविंदर सिंह कंग ने गुरुवार को केंद्र सरकार को एक पत्र भेजकर किसानों के शोषण के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि पंजाब में किसान सब्सिडी वाली खाद के साथ-साथ महंगे बूस्टर जैसे सल्फर (२७० रुपये) और नैनो यूरिया (२५० रुपये) खरीदने के लिए मजबूर किए जा रहे हैं।
सांसद मलविंदर सिंह ने कहा कि इससे किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है और सरकारी सब्सिडी का उद्देश्य विफल हो रहा है। उन्होंने इस जबरन बिक्री को रोकने के लिए एक राष्ट्रव्यापी तंत्र स्थापित करने की अपील की है।
कंग ने अपने पत्र में लिखा कि यह शोषणकारी प्रथा छोटे किसानों की समस्याओं को बढ़ा रही है, जो देश की खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने इसे सरकार की नीतियों के साथ विश्वासघात बताया, जो बिचौलियों को मुनाफाखोरी का अवसर प्रदान कर रही है।
उन्होंने पंजाब पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना की, जिसमें रूपनगर में एक बड़े वितरक समेत दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और गिरफ्तारियां की गईं। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह समस्या केवल पंजाब तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभर में फैली हुई है।
कंग ने केंद्र सरकार से रसायन और उर्वरक मंत्रालय के माध्यम से एक मजबूत ढांचा स्थापित करने की मांग की है, जिसमें जबरन बंडलिंग पर रोक, डिजिटल निगरानी, सब्सिडी वाली खाद की अलग से उपलब्धता और दोषियों के लिए कड़े दंड जैसे लाइसेंस रद्द करना या ब्लैकलिस्टिंग शामिल है।
उन्होंने वितरण श्रृंखला के राष्ट्रव्यापी ऑडिट और किसानों के लिए शिकायत निवारण मंच की स्थापना का भी सुझाव दिया। सांसद मलविंदर सिंह ने कहा कि वे पंजाब के किसानों की समस्याओं को उजागर कर इस सुधार प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि किसान शोषण से मुक्त होने के हकदार हैं। रूपनगर की कार्रवाई को देशव्यापी समीक्षा की शुरुआत बताते हुए कंग ने केंद्र से उर्वरक आपूर्ति में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग की। यह कदम न केवल किसानों को राहत देगा, बल्कि कृषि सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी मजबूत करेगा। केंद्र सरकार की ओर से इस पर त्वरित कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।