क्या कोलकाताः आतंकी साजिश मामले में दोषी को 6 साल की सजा मिली?

सारांश
Key Takeaways
- कोलकाता में जेएमबी आतंकी साजिश का मामला महत्वपूर्ण है।
- आरोपी को छह साल की सजा और 20,000 रुपए का जुर्माना।
- एनआईए ने अगस्त 2021 में इस मामले की जांच शुरू की।
- यह सजा आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति को दर्शाती है।
- बाकी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा अभी जारी है।
कोलकाता, 19 जून (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के आतंकी साजिश मामले में गुरुवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। अदालत ने इस मामले के एक दोषी को छह वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है, साथ ही 20,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
यह सजा कोलकाता में एनआईए की विशेष अदालत द्वारा सुनाई गई है। भारत विरोधी इस आतंकी साजिश के दोषी को छह साल सलाखों के पीछे रहना होगा।
आरोपी नजीउर रहमान पावेल, जिसे जॉयराम और जोसेफ के नाम से भी जाना जाता है, को विभिन्न धाराओं एवं विदेशी अधिनियम की धारा 14ए(बी), साथ ही भारतीय पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12 के तहत सजा सुनाई गई है।
छह साल की सजा के अलावा, अदालत ने उसे 20,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
कोलकाता के एसटीएफ पुलिस स्टेशन ने जुलाई 2021 में बांग्लादेशी नागरिक एसके शब्बीर, जोसेफ और अन्य के भारत में अवैध प्रवेश के संबंध में मूल रूप से मामला दर्ज किया था। जेएमबी के सदस्यों ने अपने अज्ञात सहयोगियों के साथ मिलकर भारत और बांग्लादेश के भीतर से युवा मुस्लिम युवकों की भर्ती कर उन्हें प्रेरित करके भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश की थी।
युवाओं को आपराधिक बल के सहारे भारत की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को हटाकर 'खिलाफत' स्थापित करने के लिए प्रेरित किया गया।
अगस्त 2021 में मामले को अपने हाथ में लेने वाली एनआईए ने जनवरी 2022 में पांच आरोपियों के खिलाफ अपना मुख्य आरोपपत्र दाखिल किया।
इससे पहले, रबीउल इस्लाम को नवंबर 2024 में आरसी-19/2021/एनआईए/डीएलआई मामले में पांच साल के सश्रम कारावास और 20,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। वहीं, बाकी तीन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा जारी है।