क्या कोलकाता से शुरू हुई थी 'एक रुपये के सिक्के' की कहानी?

Click to start listening
क्या कोलकाता से शुरू हुई थी 'एक रुपये के सिक्के' की कहानी?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि भारत में पहला 'एक रुपये का सिक्का' कब जारी किया गया था? यह कहानी 19 अगस्त 1757 की है, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोलकाता की टकसाल में इसे ढाला। जानिए इस ऐतिहासिक सिक्के के पीछे की दिलचस्प कहानी और इसके महत्व के बारे में।

Key Takeaways

  • 1757 में पहला 'एक रुपये का सिक्का' जारी हुआ।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी ने सिक्के जारी करने का अधिकार प्राप्त किया।
  • सिक्के सत्ता और ताकत का प्रतीक बने।
  • 1947 में आजादी के समय भी ये सिक्के प्रचलित थे।
  • 1950 में स्वतंत्र भारत का पहला सिक्का जारी हुआ।

नई दिल्ली, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान डिजिटल युग में, जब हम यूपीआई के माध्यम से केवल एक क्लिक में भुगतान करते हैं, तो शायद ही कोई यह सोचता है कि भारत में लेन-देन कभी पूरी तरह से सिक्कों और नोटों पर निर्भर था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में पहला 'एक रुपये का सिक्का' कब बनाया गया था? यह कहानी है 19 अगस्त 1757 की, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोलकाता की टकसाल में पहला एक रुपये का सिक्का जारी किया था।

साल 1757 भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इसी वर्ष प्लासी का युद्ध हुआ, जिसमें ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हराकर बंगाल पर अपनी पकड़ बनाई। इसके बाद कंपनी ने नवाब से एक संधि की, जिससे उन्हें सिक्के ढालने का अधिकार मिला, और उसी अधिकार का उपयोग करते हुए 19 अगस्त को पहली बार भारत में एक रुपये का सिक्का जारी किया गया।

इस सिक्के पर ब्रिटिश सम्राट विलियम 4 की छवि अंकित थी। 1857 की क्रांति के बाद, जब भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से लेकर ब्रिटिश क्राउन के हाथ में गया, तब सिक्कों पर ब्रिटिश मोनार्क की छवि दिखाई देने लगी। इस प्रकार, सिक्के न केवल लेन-देन का माध्यम बने, बल्कि सत्ता और ताकत का प्रतीक भी बन गए।

हालांकि, ईस्ट इंडिया कंपनी पहले ही सूरत, बॉम्बे और अहमदाबाद में टकसालें स्थापित कर चुकी थी। लेकिन, एक रुपये का पहला सिक्का विशेष रूप से कोलकाता की टकसाल से ही ढाला गया और इसे बंगाल के मुगल प्रांत में चलाया गया। 1914 से 1918 के बीच, यानी पहले विश्व युद्ध के दौरान, चांदी की भारी कमी हुई। तब सिक्कों की जगह कागज के नोट लाए गए, फिर भी कंपनी के सिक्के 1950 तक भारत में प्रचलित रहे।

जब भारत 1947 में आजाद हुआ, तब भी ये सिक्के चलन में थे। लेकिन 1950 में स्वतंत्र भारत का पहला सिक्का जारी हुआ, जिस पर अशोक स्तंभ के सिंह शीर्ष की छवि थी। आज की पीढ़ी शायद 'आना' शब्द से अनभिज्ञ है, लेकिन आजादी के शुरुआती दशकों में 'आना सिस्टम' प्रचलित था। 1 रुपये में 16 आना और 1 आना में 4 पैसे होते थे, यानी उस दौर में आधा आना, 2 आना और 4 आना जैसे सिक्के प्रचलित थे।

Point of View

यह आवश्यक है कि हम अपने इतिहास को समझें और उसे संजोकर रखें। 'एक रुपये का सिक्का' हमारे स्वतंत्रता संग्राम और आर्थिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कहानी हमें यह दिखाती है कि कैसे एक साधारण सिक्का भी सत्ता और शक्ति का प्रतीक बन सकता है।
NationPress
18/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत में पहला 'एक रुपये का सिक्का' कब जारी हुआ?
भारत में पहला 'एक रुपये का सिक्का' 19 अगस्त 1757 को ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा जारी किया गया था।
इस सिक्के पर किसकी छवि थी?
इस सिक्के पर ब्रिटिश सम्राट विलियम 4 की छवि अंकित थी।
क्या 'आना सिस्टम' क्या होता था?
'आना सिस्टम' में 1 रुपये में 16 आना होते थे, और यह आजादी के शुरुआती दशकों में प्रचलित था।