क्या कोंडामेश्वरी मंदिर में भक्त जहरीले बिच्छुओं के साथ खेलते हैं?

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क्या कोंडामेश्वरी मंदिर में भक्त जहरीले बिच्छुओं के साथ खेलते हैं?

सारांश

दक्षिण भारत का कोंडामेश्वरी मंदिर, जहां भक्त जहरीले बिच्छुओं के साथ खेलते हैं, अद्भुत मान्यताओं का केंद्र है। हर साल नाग पंचमी पर यहां अनूठा मेला लगता है, जो हजारों लोगों को आकर्षित करता है। इस मंदिर की खासियत है कि भक्तों को बिच्छुओं से कोई नुकसान नहीं होता।

Key Takeaways

  • कोंडामेश्वरी मंदिर की मान्यता अद्वितीय है।
  • नाग पंचमी पर विशेष पूजा का आयोजन होता है।
  • भक्त अपनी आस्था के साथ बिच्छुओं के साथ खेलते हैं।
  • इस मेले में हजारों लोग शामिल होते हैं।
  • बिच्छुओं का जहर मां कोंडामयी के प्रति श्रद्धा से समाप्त हो जाता है।

नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दक्षिण भारत में ऐसे कई रहस्यमय मंदिर और चमत्कारी स्थल हैं, जहां भक्त अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार दर्शन के लिए आते हैं। दक्षिण भारत में एक ऐसा मंदिर है, जहां भक्त जहरीले बिच्छुओं के साथ खेलने के लिए मां के मंदिर में पहुंचते हैं।

भक्तों का मानना है कि ऐसा करने से देवी कोंडामयी प्रसन्न होती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह अद्भुत मंदिर यादगिरी जिले में स्थित है।

मां कोंडामेश्वरी के मंदिर को बिच्छुओं की देवी कहा जाता है। नाग पंचमी के दिन दूर-दूर से लोग देवी कोंडामयी के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि नाग पंचमी के दिन मां की विशेष पूजा अर्चना होती है और मंदिर में भक्तों के साथ अनेक बिच्छू भी होते हैं। भक्तों का मानना है कि पहाड़ पर बने इस मंदिर में साल में एक दिन, यानी नाग पंचमी के दिन ही बड़ी संख्या में बिच्छू अपने बिलों से बाहर आते हैं।

स्थानीय लोग इस दिन को बिच्छुओं का मेला भी कहते हैं। भक्त मां के दर्शन के बाद बिच्छुओं के साथ खेलते हैं और उन्हें अपने शरीर पर भी चलाते हैं, लेकिन एक भी बिच्छू डंक नहीं मारता है।

कहा जाता है कि एक दिन के लिए मां कोंडामयी बिच्छुओं का सारा जहर अपने अंदर ले लेती हैं, जिससे बिच्छुओं में जहर नहीं बचता। हालांकि, नाग पंचमी के अलावा यदि किसी को बिच्छू काट लेता है, तो उसकी मृत्यु की संभावना बनी रहती है।

इस मेले में शामिल होने के लिए हर साल हजारों की संख्या में लोग आते हैं और इस अद्भुत मेले का अनुभव करते हैं। कोंडामेश्वरी मंदिर में बिच्छू की एक अद्भुत प्रतिमा भी है। नाग पंचमी के दिन बिच्छू की प्रतिमा की पूजा की जाती है। भक्तों का मानना है कि अगर किसी पर बिच्छू का जहर चढ़ जाता है तो उसे मां कोंडामेश्वरी के मंदिर में आकर भंडारा कराना होता है और मां के चमत्कार से बिच्छू का जहर उतर जाता है।

मां कोंडामेश्वरी के भक्त घाव पर हल्दी और अन्य जड़ी-बूटियों से बना लेप लगाते हैं। वहां बिच्छू काटने पर इलाज के लिए कोई चिकित्सक के पास नहीं जाता है, बल्कि लेप लगाकर और मां की आराधना कर खुद को ठीक करने की कोशिश की जाती है।

Point of View

बल्कि यह धार्मिक आस्था और श्रद्धा का भी प्रतीक है। ऐसे अनोखे मेलों से देश की विविधता और धार्मिक सहिष्णुता का पता चलता है।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

कोंडामेश्वरी मंदिर कहां स्थित है?
कोंडामेश्वरी मंदिर यादगिरी जिले में स्थित है।
नाग पंचमी पर यहां क्या विशेष होता है?
नाग पंचमी पर देवी कोंडामयी की विशेष पूजा होती है और भक्त बिच्छुओं के साथ खेलते हैं।
क्या बिच्छू काटने पर खतरा होता है?
नाग पंचमी के अलावा किसी अन्य दिन बिच्छू काटने पर खतरा होता है, लेकिन इस दिन भक्त सुरक्षित होते हैं।
इस मेले में कितने लोग आते हैं?
हर साल हजारों लोग इस मेले में शामिल होते हैं।
भक्त बिच्छुओं के साथ क्यों खेलते हैं?
भक्त मानते हैं कि मां कोंडामयी उन्हें सुरक्षित रखती हैं।
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