क्या जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में हुई मुठभेड़ में एक आतंकवादी ढेर हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- कुलगाम में एक आतंकवादी मारा गया।
- एक जवान घायल हुआ है।
- सुरक्षा बलों ने सक्रियता से अभियान चलाए।
- आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने की आवश्यकता।
- बीएसएफ द्वारा ड्रोन रोधी तकनीक का उपयोग।
श्रीनगर, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में सोमवार को सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई। कुलगाम के गुडार वन क्षेत्र में इस मुठभेड़ के दौरान एक आतंकवादी को मार गिराया गया, जबकि सेना के एक जवान को चोटें आई हैं।
घायल जवान को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घेराबंदी किए गए क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
अधिकारियों के अनुसार, आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना के बाद सुरक्षा बलों की संयुक्त टीमों ने गुडार वन क्षेत्र में घेराबंदी और तलाशी अभियान आरंभ किया।
जब संयुक्त बलों ने क्षेत्र में प्रवेश किया, तो आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे मुठभेड़ आरंभ हुई।
सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में आक्रामक आतंकवाद-रोधी अभियान शुरू कर दिए हैं। ये अभियान आतंकवादियों, उनके जमीनी सहयोगियों (ओजीडब्ल्यू) और उनके समर्थकों के खिलाफ लक्षित हैं।
सुरक्षा बलों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में आतंक के पारिस्थितिकी तंत्र को समाप्त करने के लिए, केवल बंदूकधारी आतंकवादियों के सफाए पर ध्यान केंद्रित नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले तत्वों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
'ऑपरेशन सिंदूर' स्थगित होने के बाद, आतंकवादियों द्वारा नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के प्रयास किए गए हैं।
जम्मू-कश्मीर में 740 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा है जिसकी सुरक्षा सेना करती है। इसके अलावा, जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में लगभग 240 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा भी है, जिसकी सुरक्षा बीएसएफ करती है।
पाकिस्तान की मदद से आतंकवादी संगठन विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर आतंकवादियों के लिए भारतीय सीमा में हथियार, ड्रग्स और नकदी गिराने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं।
बीएसएफ विशेष ड्रोन रोधी तकनीक का इस्तेमाल कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पाकिस्तान में बैठे आतंकवाद के संचालकों को जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को जारी रखने के लिए ड्रोन का उपयोग करने से रोका जा सके।
तस्करों पर भी सुरक्षा बलों की निगाह है। ऐसा माना जाता है कि ड्रग तस्करी और हवाला मनी रैकेट से जुटाई गई धनराशि का इस्तेमाल अंततः आतंकवाद को बढ़ावा देने में किया जाता है।