क्या 14 नवंबर के बाद अशोक गहलोत बिहार में नहीं दिखाई देंगे? : दिनेश शर्मा

सारांश
Key Takeaways
- अशोक गहलोत का बिहार में भविष्य संदेह में है।
- नीतीश कुमार का नेतृत्व महत्वपूर्ण रहेगा।
- भाजपा के अनुसार, लव जिहाद एक गंभीर मुद्दा है।
- कांग्रेस की नीति पर सवाल उठाए गए हैं।
लखनऊ, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत द्वारा बिहार में गुरुवार को महागठबंधन के लिए राजद नेता तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित किए जाने पर भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि 14 नवंबर के बाद अशोक गहलोत बिहार में कहीं नहीं दिखेंगे, क्योंकि वे भी समझते हैं कि बिहार की जनता विकास के नाम पर एनडीए को वोट देने वाली है।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि जिनके पास कुछ नहीं है, वह बांटने की बात कैसे कर सकते हैं। अशोक गहलोत ने राजस्थान में सचिन पायलट की जगह खुद को मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत किया। क्या परिणाम सामने आया? करारी हार के बाद वे महीनों तक गायब रहे। 14 नवंबर के बाद वे बिहार में नहीं दिखेंगे, शायद किसी रेगिस्तान में चले जाएंगे। बिहार में महागठबंधन की हार निश्चित है।
उन्होंने आगे कहा कि नीतीश कुमार हमारे नेता हैं और अमित शाह पहले ही उनके नेतृत्व में चुनाव लडऩे की बात स्पष्ट कर चुके हैं। इसलिए, कांग्रेस के नेताओं का यह पूछना कि हमारा नेतृत्व कौन करेगा, यह बेहद बचकाना है। हमारा नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे हैं और उनके नेतृत्व में हम चुनाव जीतेंगे।
भाजपा सांसद ने कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद के उस सोशल मीडिया पोस्ट पर भी जवाब दिया, जिसमें लिखा गया था कि क्रिकेटर सरफराज खान को उनके उपनाम के कारण नहीं चुना गया। हमें पता है कि गौतम गंभीर इस बारे में क्या सोचते हैं। इस पर दिनेश शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की दोगली नीति देश के विकास में रुकावट डालती है।
उन्होंने कहा कि मोहम्मद अजहरुद्दीन भारत के कप्तान रह चुके हैं। मोहम्मद कैफ, यूसुफ पठान और इरफान पठान जैसे खिलाड़ियों ने देश के लिए क्रिकेट खेला। यह बेवजह की राजनीति है। क्रिकेट में योग्य खिलाड़ियों को मौका मिलता है; भेदभाव का कोई सवाल नहीं।
चुनाव आयोग की ओर से एसआईआर कराने के निर्णय को लेकर उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का यह निर्णय सराहनीय है।
हलाल सर्टिफिकेशन विवाद पर विपक्ष के बयानों पर भाजपा सांसद ने कहा कि सीएम योगी का बयान तथ्यों पर आधारित है। हिंदू और मुसलमान को अपनी पूजा पद्धति की स्वतंत्रता है, लेकिन अलगाववादी चीजों से सभी को दूर रहना चाहिए। सरकार कभी धर्म के आधार पर विभाजन नहीं करती।
असम में 'लव जिहाद' और बहुविवाह पर विधेयक लाने के विचार पर उन्होंने कहा कि लव जिहाद एक अभिशाप है, जिससे हिंदू और मुसलमान दोनों को बचना चाहिए। महिलाओं के लिए उदार कानून होने चाहिए, जो उन्हें समान अधिकार दें।