क्या 2025 में निवेश की दिशा बदली? म्यूचुअल फंड और एसआईपी बने मुख्य विकल्प
सारांश
Key Takeaways
- 2025 में म्यूचुअल फंड्स का बढ़ता महत्व।
- खुदरा निवेशकों की सीधी शेयरों में कमी।
- डीमैट खाता खोलने में गिरावट।
- आईपीओ और सोने में निवेश की रुचि बढ़ी।
- निफ्टी 50 में स्थिरता।
मुंबई, 25 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तेजी से मुनाफा कमाने की चाह में लोग अक्सर स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं। लेकिन, साल 2025 शेयर बाजार के लिए कुछ हद तक निराशाजनक रहा।
कोविड महामारी के बाद सीधे निवेश का जो दौर चला था, वह इस वर्ष कमजोर पड़ गया। जहां 2024 में रिकॉर्ड खरीदारी हुई, वहीं इस साल खुदरा निवेशकों ने घरेलू शेयर बाजार से पूंजी निकालने का विकल्प चुना।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की वार्षिक रिपोर्ट 2025 के अनुसार, वर्ष 2025 में व्यक्तिगत निवेशकों ने अब तक 8,461 करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली की है, जो पिछले वर्षों से एक महत्वपूर्ण बदलाव है।
वर्ष 2020 से 2024 तक शेयरों में सीधा निवेश बढ़ा था, लेकिन 2025 में यह प्रवृत्ति बदल गई है। इस वर्ष शेयर बाजार में कुछ उथल-पुथल देखने को मिली। सितंबर 2024 से बाजार में गिरावट आई, हालांकि बाकी वर्ष में कुछ सुधार भी हुआ।
निफ्टी 50 सूचकांक इस वर्ष लगभग 11 प्रतिशत तक चढ़ा, लेकिन यह 2024 के सितंबर स्तर पर ही बना रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ा, खुदरा निवेशक अन्य निवेश विकल्प, जैसे म्यूचुअल फंड को प्राथमिकता देने लगे।
वर्ष 2025 में म्यूचुअल फंड्स में निवेश में अच्छी तेजी देखने को मिली, विशेषकर सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से। नवंबर 2025 तक एसआईपी के जरिए 3.04 लाख करोड़ रुपए का रिकॉर्ड निवेश हुआ, जो 2024 के 2.69 लाख करोड़ रुपए से कहीं अधिक है।
इस साल म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से निवेश करने वाले निवेशकों की संख्या में वृद्धि देखी गई, जो भारतीय शेयर बाजार में स्थिरता का संकेत है।
एनएसई की वार्षिक रिपोर्ट 2025 के अनुसार, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने इस वर्ष 7.6 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है, जो पिछले वर्ष के 5.3 लाख करोड़ रुपए से कहीं ज्यादा है। म्यूचुअल फंड्स की शुद्ध इक्विटी खरीद नवंबर 2025 तक 4.6 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, जो इस वर्ष की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
इसके अलावा, 2025 में आईपीओ (इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग) बाजार में भी तेजी आई और सोने में भी निवेशकों की रुचि बढ़ी। इन दोनों निवेश विकल्पों ने खुदरा निवेशकों से भारी मात्रा में पूंजी आकर्षित की।
इस दौरान, शेयर बाजार से धन निकालकर निवेशकों ने म्यूचुअल फंड्स, सोने और आईपीओ जैसे विकल्पों में निवेश किया।
हालांकि, इस वर्ष डीमैट खाता खोलने की संख्या में भी गिरावट आई। 2.8 करोड़ नए डीमैट खाते खोले गए, जबकि 2024 में यह संख्या 4.6 करोड़ थी। इसका सीधा संबंध निवेशकों के शेयरों में सीधे निवेश में कमी से है।