क्या 'आधार कार्ड' नागरिकता का प्रमाण नहीं है?: इमरान मसूद

सारांश
Key Takeaways
- आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना गया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने इसे 12वें पहचान दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया है।
- आधार केवल निवास का प्रमाण है, न कि नागरिकता का।
- इमरान मसूद ने नागरिकता के अन्य प्रमाणों के बारे में सवाल किया।
नई दिल्ली, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले में आधार को अन्य 11 मान्य दस्तावेजों के समान मानने के लिए कहा है। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने आधार कार्ड को 12वें पहचान दस्तावेज के रूप में मान्यता देने के फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, "अगर आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा, तो फिर क्या प्रमाण होगा?"
इमरान मसूद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "जिन लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र या उनके पूर्वजों के प्रमाण पत्र नहीं हैं, क्या उन्हें विदेशी घोषित कर दिया जाएगा?"
उपराष्ट्रपति चुनाव पर बात करते हुए इमरान मसूद ने कहा, "एनडीए के भीतर पहली बार बौखलाहट, खलबली और बेचैनी नजर आ रही है, जो हमारे लिए एक बड़ी जीत है। देश की आत्मा की रक्षा के लिए चुनाव हो रहा है और अगर कुछ लोगों की अंतरात्मा जाग गई तो देश की आत्मा सुरक्षित रहेगी।"
नेपाल के हालात पर कांग्रेस सांसद ने कहा, "किसी भी देश के भीतर दमनकारी रवैया अधिक समय तक नहीं टिकता। इसके केवल दो परिणाम होते हैं: या तो अराजकता बढ़ती है या तख्तापलट होता है।"
बिहार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में माना जाएगा। हालांकि, चुनाव आयोग आधार का सत्यापन कर सकता है कि आधार सही है या नहीं।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम स्पष्ट कर रहे हैं कि आधार केवल निवास के प्रमाण के लिए है, न कि नागरिकता तय करने के लिए। यह आदेश याचिकाकर्ता योगेंद्र यादव की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया है।