क्या अमित शाह का घुसपैठ से जुड़ा बयान ध्रुवीकरण रणनीति का हिस्सा है?: एसटी हसन

सारांश
Key Takeaways
- अमित शाह का विवादास्पद बयान
- डॉ. एसटी हसन का कड़ा विरोध
- ध्रुवीकरण की रणनीति का सवाल
- राजनीतिक विमर्श की आवश्यकता
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर असर
मुरादाबाद, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान देश में मुस्लिम समुदाय की बढ़ती जनसंख्या पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। पूर्व समाजवादी पार्टी सांसद डॉ. एसटी हसन ने इस बयान पर कड़ा विरोध व्यक्त किया है।
अमित शाह ने कहा कि मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि अधिक प्रजनन दर के कारण नहीं, बल्कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से होने वाली अवैध घुसपैठ के कारण है।
डॉ. हसन ने कहा, “सरकार की जिम्मेदारी है। क्या अमित शाह घुसपैठ के लिए स्वयं जिम्मेदार नहीं हैं? उनका यह बयान उनके अपने कार्यकाल पर प्रश्न उठाता है।”
उन्होंने इसे बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की एक रणनीति बताया। उन्होंने यह भी पूछा कि सरकार के पास घुसपैठ का आंकड़ा कहां से आया और इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
हसन ने आगे कहा, “ऐसे बयानों से हिंदू समुदाय में डर फैलाने का प्रयास हो रहा है, जो अनुचित है। सरकार को बिना आधार के ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए।”
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सोशल मीडिया अकाउंट के सस्पेंड होने पर भी उन्होंने टिप्पणी की, यह बताते हुए कि उनके 80 लाख फॉलोअर्स हैं, जो सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं। क्या यह प्रजातंत्र है या इसे समाप्त कर दिया गया है? आज की राजनीति पर उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक बड़ा हमला है।
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और आजम खान की मुलाकात पर उन्होंने कहा, “दोनों देश के महत्वपूर्ण नेता हैं और भविष्य के बारे में सोचते हैं। उनकी मुलाकात में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।”
हसन ने कहा कि उन्होंने हमेशा आजम खान का सम्मान किया है और आगे भी करेंगे। आजम खान से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है। उनके मार्गदर्शन में कई नेताओं ने पहचान बनाई है। अखिलेश यादव ने उन्हें रामपुर से चुनाव लड़ने को कहा, लेकिन उन्होंने आजम खान के सम्मान के कारण नहीं लड़ा।