क्या बेंजामिन नेतन्याहू की माफी में एक पेंच है?
सारांश
Key Takeaways
- नेतन्याहू ने राष्ट्रपति से माफी की अपील की है।
- पूर्व वकील का कहना है कि गुनाह कबूलना जरूरी है।
- यदि माफी नहीं मिलती, तो राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
तेल अवीव, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को राष्ट्रपति आइजैक हर्जोग के समक्ष क्षमादान के लिए 111 पन्नों का दस्तावेज प्रस्तुत किया। गेंद अब राष्ट्रपति के पाले में है, लेकिन इस प्रक्रिया में एक पेंच फंसा हुआ है, जिसका खुलासा नेतन्याहू के पूर्व वकील ने किया है।
इजरायली टीवी चैनल 12 के साथ एक चर्चा में पूर्व वकील मिकाह फेटमैन ने कहा, "एक अपराधी को माफी दी जाती है—यही कानून में लिखा है।"
उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति नेतन्याहू को माफी नहीं दे सकते जब तक कि वे अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को स्वीकार न करें। यह बात ऐसे समय में आई है जब नेतन्याहू ने रिश्वत, धोखाधड़ी और जनता से विश्वासघात के आरोपों से खुद को बरी करने की इच्छा जताई है और औपचारिक माफी भी मांगी है—हालांकि उन्होंने अपने गुनाहों को नहीं माना है।
फेटमैन ने बताया कि इजरायल के कानून और पूर्व उदाहरणों में माफी की प्रक्रिया को बहुत गंभीरता से लिया जाता है। आमतौर पर माफी तभी दी जाती है जब कोई अपराध स्वीकारता है या अदालत द्वारा दोषी ठहराया जाता है। इसीलिए उनका कहना है कि "गुनाह को स्वीकार किए बिना माफी देना न केवल कानूनी तौर पर असामान्य होगा, बल्कि न्यायिक प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाएगा।"
फेटमैन (जो नेतन्याहू के ट्रायल की शुरुआत में उनकी डिफेंस टीम में थे) ने कहा, "इजरायल में ट्रायल से पहले माफी बहुत कम दी जाती है। सबसे करीबी उदाहरण 1984 का बस 300 मामला है, जिसमें शिन बेट के एजेंटों ने दो फिलिस्तीनियों को मार डाला था।"
उन्होंने आगे कहा, "लेकिन उस मामले में भी, उस समय के राष्ट्रपति चैम हर्जोग ने अपराधियों के गुनाह कबूल करने के बाद ही माफी दी थी।" फेटमैन के अनुसार, उस समय, हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि माफी के लिए गुनाह कबूल करना आवश्यक था।
'द टाइम्स ऑफ इजरायल' के अनुसार, विपक्ष भी इसी तर्क पर जोर दे रहा है। यैर लापिद जैसे नेताओं ने कहा है कि बिना अपराध स्वीकार किए माफी मिलना "कानून से ऊपर" होना होगा और इससे लोकतंत्र की नींव हिल जाएगी।
नेतन्याहू की अर्जी ने इजरायल की राजनीति में पहले से मौजूद ध्रुवीकरण को और बढ़ा दिया है। उनके समर्थकों का कहना है कि ये मुकदमे राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं और इनका अंत देश के हित में होना चाहिए, जबकि आलोचकों का तर्क है कि सत्ता में बैठे किसी भी व्यक्ति को इस तरह राहत मिलना संस्थाओं को कमजोर करेगा।
राष्ट्रपति हर्जोग पर अब भारी दबाव है। यदि वे माफी स्वीकार करते हैं तो उन्हें कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर तीखी आलोचना का सामना करना पड़ेगा, और यदि वे इसे ठुकराते हैं तो यह मुकदमा अगले कई महीनों तक इजरायल की राजनीति को अस्थिर करता रहेगा। अमेरिका के साथ इजरायल के रिश्तों पर भी इसका असर पड़ेगा, क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपने दोस्त 'बीबी' को सभी मुकदमे से छूट देने की बात की है।