क्या 'भारत' जलवायु समाधान की दिशा में सही राह दिखा रहा है? : प्रल्हाद जोशी

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क्या 'भारत' जलवायु समाधान की दिशा में सही राह दिखा रहा है? : प्रल्हाद जोशी

सारांश

केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने भारत की 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता की उपलब्धि पर गर्व व्यक्त किया। यह उपलब्धि न केवल समय से पहले हासिल की गई है, बल्कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हरित नीति का परिणाम भी है। जानें किस प्रकार यह कदम भारत को एक सशक्त और सतत भविष्य की ओर अग्रसर कर रहा है।

Key Takeaways

  • भारत ने 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता 2025 में हासिल की।
  • प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व हरित परिवर्तन को गति दे रहा है।
  • यह उपलब्धि पेरिस समझौते के लक्ष्यों से पाँच वर्ष पहले है।
  • सौर और विंड एनर्जी के कार्यक्रमों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • जैव ऊर्जा क्षेत्र ने ग्रामीण आजीविका में योगदान दिया है।

नई दिल्ली, 15 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि निर्धारित लक्ष्य से पूर्व, 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता हासिल करना गर्व का क्षण है।

भारत ने 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य 2030 रखा था, जिसे 2025 में ही प्राप्त कर लिया गया है।

केंद्रीय मंत्री जोशी ने गैर-जीवाश्म ईंधन की बढ़ती क्षमता के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व भारत के हरित परिवर्तन को गति दे रहा है और एक आत्मनिर्भर एवं टिकाऊ भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।"

उन्होंने कहा कि 2030 के लक्ष्य से पाँच वर्ष पहले 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता हासिल करना हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।

केंद्रीय मंत्री ने एक इंफोग्राफिक साझा करते हुए बताया कि 484.8 गीगावाट की कुल इंस्टॉल्ड क्षमता में से 242.8 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन से प्राप्त की जा रही है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने हाल ही में घोषणा की कि भारत ने अपनी ऊर्जा परिवर्तन यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जिसमें अपनी स्थापित बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त किया गया है।

मंत्रालय ने कहा कि यह उपलब्धि पेरिस समझौते के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के तहत निर्धारित लक्ष्य से पाँच वर्ष पहले ही प्राप्त कर ली गई है।

यह उपलब्धि दूरदर्शी नीति निर्माण, साहसिक कार्यान्वयन, और जलवायु उत्तरदायित्व के प्रति देश की गहरी प्रतिबद्धता की सफलता को दर्शाती है।

पीएम कुसुम, पीएम सूर्य घर: मुफ़्त बिजली योजना, सोलर पार्क विकास, और नेशनल विंड-सोलर हाइब्रिड पॉलिसी जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने इस परिवर्तन की मजबूत नींव रखी है।

बयान में बताया गया कि जैव ऊर्जा क्षेत्र, जो कभी हाशिये पर था, अब ग्रामीण आजीविका और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन दोनों में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बन गया है।

प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान योजना सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप उपलब्ध करवा कर लाखों किसानों को सशक्त बना रही है, जिससे ऊर्जा-सुरक्षित और सस्टेनेबल कृषि संभव हुई है।

इसी प्रकार 2024 में शुरू की गई प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना ने एक करोड़ घरों तक सौर ऊर्जा की पहुंचाने के साथ विकेन्द्रीकृत ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देकर नागरिकों को ऊर्जा स्वामी के रूप में सशक्त बनाया है।

देशभर में सोलर पार्क ने रिकॉर्ड-कम दरों पर उपयोगिता-स्तरीय रिन्यूएबल एनर्जी इंस्टॉलेशन को सुगम बनाया है। विशेष रूप से गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में विंड एनर्जी देश की शाम की अधिकतम बिजली मांग को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है।

Point of View

जो न केवल ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में बढ़ता कदम है, बल्कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन के प्रति देश की गहरी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। यह भारत को एक सशक्त और टिकाऊ भविष्य की ओर अग्रसर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
NationPress
18/07/2025

Frequently Asked Questions

भारत ने 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता कब हासिल की?
भारत ने यह उपलब्धि 2025 में हासिल की, जबकि इसका लक्ष्य 2030 था।
इस उपलब्धि का प्रमुख कारण क्या है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व और सौर एवं विंड एनर्जी के प्रभावी कार्यक्रमों ने इस परिवर्तन को संभव बनाया।
गैर-जीवाश्म ऊर्जा का योगदान कितना है?
484.8 गीगावाट की कुल इंस्टॉल्ड क्षमता में से 242.8 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन से प्राप्त की जा रही है।
जैव ऊर्जा क्षेत्र का योगदान क्या है?
जैव ऊर्जा क्षेत्र अब ग्रामीण आजीविका और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बन गया है।
पीएम कुसुम योजना का क्या महत्व है?
इस योजना ने लाखों किसानों को सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप उपलब्ध करवा कर उन्हें सशक्त बनाया है।