क्या भारतीय अर्थव्यवस्था घरेलू बाजार पर केंद्रित होकर ऐसे झटकों से उबरने में सक्षम है?

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क्या भारतीय अर्थव्यवस्था घरेलू बाजार पर केंद्रित होकर ऐसे झटकों से उबरने में सक्षम है?

सारांश

क्या भारत अपनी घरेलू संचालित अर्थव्यवस्था के साथ अमेरिकी टैरिफ के झटकों का सामना कर सकेगा? जानें आर्थिक विशेषज्ञों की राय और भारत के भविष्य की संभावनाएं।

Key Takeaways

  • भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से घरेलू है।
  • अमेरिकी टैरिफ का असर निर्यात पर पड़ सकता है।
  • भारत ने अन्य वैश्विक भागीदारों के साथ सहयोग बढ़ाया है।
  • अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत इस झटके को सहन कर सकेगा।
  • प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा को सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

नई दिल्ली, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अर्थशास्त्रियों ने भारत पर 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ की घोषणा को लेकर कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से घरेलू स्तर पर संचालित है। हमने अतीत में कई आर्थिक संकटों का सामना किया है। इसलिए, हमें विश्वास है कि इससे कुछ हानि होगी, लेकिन हम इस झटके को आत्मविश्वास से सहन करने में सक्षम होंगे।

इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. मनोरंजन शर्मा ने न्यूज एजेंसी राष्ट्र प्रेस से कहा, "अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत तक अतिरिक्त टैरिफ लगाए हैं, जिससे कुल टैरिफ स्तर 50 प्रतिशत हो गया है। इससे फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, इलेक्ट्रिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न एवं आभूषण जैसे क्षेत्रों पर गंभीर असर पड़ेगा। इसलिए, यह निश्चित रूप से भारत में चिंतित होने का कारण है। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि चीन के विपरीत, भारत एक घरेलू संचालित अर्थव्यवस्था है।"

उन्होंने कहा कि भारत ने अतीत में कई आर्थिक संकटों का सामना किया है, जैसे अक्टूबर 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट या कोरोना महामारी। इसलिए हमें विश्वास है कि इससे कुछ नुकसान होगा, लेकिन हम इसे आत्मविश्वास से सहन कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा पर उन्होंने कहा, "भारत और चीन के बीच लंबे समय से चली आ रही दूरी अब ट्रंप के टैरिफ के बाद समाप्त होती दिख रही है। अगर दोनों देश एक मंच पर अपनी बात रखें, तो इसका लाभ दोनों को होगा। प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा इस दिशा में सकारात्मक संकेत है।"

उन्होंने कहा कि दोनों देश मिलकर टैरिफ के बाद उत्पन्न वैश्विक चुनौतियों के लिए एक साझा दृष्टिकोण अपना सकते हैं।

अर्थशास्त्री आकाश जिंदल ने कहा, "अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ के सामने भारत ने झुकने से इनकार कर दिया है। भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और हमें अपने डेयरी और मछुआरों के हितों की रक्षा करनी चाहिए। अमेरिका को भविष्य में भारत की आवश्यकता पड़ेगी।"

उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका को स्पष्ट संदेश दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देगा। यह एक साहसिक कदम है। भारत का अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ उठाया कदम भारत के अंतरराष्ट्रीय कद को बढ़ाता है।

उन्होंने आगे कहा कि हम एक घरेलू संचालित अर्थव्यवस्था हैं। निकट भविष्य में थोड़ी हानि हो सकती है, लेकिन भारत ने अन्य व्यापारिक साझेदार खोज लिए हैं। यूके के साथ साझेदारी हो चुकी है। अगर 27 अगस्त से पहले हमारे किसानों और मछुआरों के हितों का संरक्षण होगा, तो यह एक व्यापार समझौता होगा। भारत किसी प्रकार के दबाव में नहीं आएगा।

सरला अनिल मोदी स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर नाहिद फातिमा ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "क्योंकि अमेरिका भारत का एक बड़ा व्यापारिक साझेदार है, इसलिए 50 प्रतिशत टैरिफ का असर विशेषकर निर्यात पर देखने को मिलेगा। इसका अल्पकालिक प्रभाव जीडीपी पर पड़ सकता है।"

हालांकि, उन्होंने कहा कि अच्छी बात यह है कि भारत एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, और मजबूत उपभोग दीर्घकालिक आधार बना सकता है।

Point of View

हमें यह मानना होगा कि भारत की घरेलू संचालित अर्थव्यवस्था में स्थिरता है। अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को समझते हुए, हमें अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
NationPress
07/08/2025

Frequently Asked Questions

अमेरिकी टैरिफ का भारत पर क्या असर पड़ेगा?
अमेरिकी टैरिफ का असर विशेषकर निर्यात पर देखने को मिलेगा, जिससे कुछ क्षेत्रों में हानि हो सकती है।
भारत ने इस स्थिति का सामना कैसे किया?
भारत ने अपने घरेलू बाजार पर ध्यान केंद्रित किया है और अन्य व्यापारिक साझेदार खोज लिए हैं।