क्या ऐतिहासिक वर्ल्ड कप खिताब भारतीय महिला क्रिकेट के सुनहरे भविष्य की नींव रखेगा?
सारांश
Key Takeaways
- महिला विश्व कप ने भारतीय महिला क्रिकेट की नींव रखी है।
- महेंद्र कुमार शर्मा का योगदान महत्वपूर्ण था।
- बीबीएल और डब्ल्यूपीएल ने खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ाया।
- भारतीय महिला क्रिकेट का भविष्य उज्जवल है।
- खिताब जीतने की उम्मीद 2025 में बढ़ी है।
नई दिल्ली, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। महिला विश्व कप की शुरुआत पुरुषों के विश्व कप से 2 वर्ष पूर्व हुई थी। वर्ष 1973 में पहली बार महिला विश्व कप का आयोजन किया गया। इस प्रक्रिया की शुरुआत वर्ष 1971 में बिजनेसमैन जैक हेवर्ड और इंग्लैंड की कप्तान रचेल हेहो फ्लिंट के बीच हुई बैठक से हुई, जिसमें महिला क्रिकेट टीमों के लिए विश्व कप आयोजित करने की चर्चा हुई।
आखिरकार, वर्ष 1973 में इस सपने को साकार किया गया, और इंग्लैंड में यह विश्व कप आयोजित हुआ, जिसमें सात टीमों ने भाग लिया। इनमें एक 'यंग इंग्लैंड' टीम और एक 'इंटरनेशनल इलेवन' भी शामिल थी। इसके अतिरिक्त, न्यूजीलैंड, त्रिनिदाद एंड टोबैगो और जमैका जैसे देश भी शामिल थे।
इस टूर्नामेंट का आयोजन राउंड-रॉबिन फॉर्मेट में किया गया था, जिसमें प्रत्येक पारी में 60 ओवर फेंके गए थे। इस खिताब को इंग्लैंड ने अपने नाम किया।
भारत में महिला क्रिकेट की औपचारिक शुरुआत महेंद्र कुमार शर्मा के प्रयासों से हुई। 1973 में सोसाइटीज एक्ट के तहत लखनऊ में भारतीय महिला क्रिकेट संघ की स्थापना की गई। महेंद्र शर्मा उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ से जुड़े थे और लखनऊ में एक बैठक के माध्यम से औपचारिक रूप से वूमेन क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूसीएआई) की स्थापना की गई। इसी वर्ष डब्ल्यूसीएआई को अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट परिषद (आईडब्ल्यूसीसी) की सदस्यता मिली।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वर्ष 1976 में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच खेला। उस समय ऑस्ट्रेलियाई अंडर-25 टीम ने भारत का दौरा किया। इसके बाद से भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के साथ मैच खेले।
जब इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की खिलाड़ी स्कर्ट पहनकर खेल रही थीं, तब भारत और वेस्टइंडीज की खिलाड़ी ट्राउजर में खेली।
भारत ने वर्ष 1978 में पहली बार विमेंस वर्ल्ड कप खेला, लेकिन सेमीफाइनल तक पहुंचने में लगभग 22 वर्ष लग गए। वर्ष 2000 में भारत ने पहली बार वनडे विश्व कप के सेमीफाइनल में जगह बनाई, जहां न्यूजीलैंड के हाथों उसे 9 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2005 में भारत ने उसी टीम को 40 रन से हराकर फाइनल में प्रवेश किया, परंतु मिताली राज की कप्तानी में भारत को ऑस्ट्रेलिया के हाथों 98 रन से पराजय का सामना करना पड़ा।
वर्ष 2007 में पहले पुरुषों के टी20 वर्ल्ड कप के बाद, वर्ष 2009 में महिला टी20 विश्व कप आयोजित हुआ। इसमें भारत ने सेमीफाइनल में जगह बनाई, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। अगले ही वर्ष एक बार फिर भारत सेमीफाइनल तक पहुंचा, लेकिन परिणाम वही रहा।
वनडे विश्व कप 2017 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी। मिताली की कप्तानी में भारत दूसरी बार वनडे विश्व कप के फाइनल में पहुंचा, परंतु इंग्लैंड के खिलाफ 9 रन के करीबी अंतर से हार गया।
हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में टी20 विश्व कप 2018 के सेमीफाइनल में हार के बाद, उन्होंने टी20 विश्व कप 2020 का फाइनल ऑस्ट्रेलिया के हाथों 85 रन से गंवाया।
भारतीय महिला टीम ने टी20 विश्व कप 2023 में एक बार फिर सेमीफाइनल तक का सफर तय किया। एक बार फिर टीम की कमान हरमनप्रीत के हाथों में थी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के हाथों भारत को महज 5 रन के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के हाथों फाइनल में इतने करीबी अंतर से मिली हार का मलाल पूरे देश को था, लेकिन वनडे विश्व कप 2025 में देश को अपनी शेरनियों से पहला खिताब जीतने की उम्मीद थी। नवी मुंबई में अपने घरेलू फैंस के बीच, टीम इंडिया ने साउथ अफ्रीका को 52 रन से शिकस्त देकर आखिरकार खिताबी जीत का सूखा समाप्त किया।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की इस सफलता का श्रेय बिग बैश लीग (बीबीएल) और विमेंस प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) को भी जाता है, जिसने महिला क्रिकेटर्स के उत्थान और उनके प्रदर्शन को निखारने में अहम योगदान दिया है। इसने न केवल भारतीय महिला क्रिकेट, बल्कि अन्य देशों की खिलाड़ियों के स्तर और आत्मविश्वास को नई ऊंचाई दी है।
हरमनप्रीत कौर, जेमिमा रोड्रिग्स, स्मृति मंधाना, दीप्ति शर्मा जैसी खिलाड़ियों ने बीबीएल में खेलकर विदेशी खिलाड़ियों और वहां की पिचों पर खेलने का अनुभव हासिल किया। विमेंस प्रीमियर लीग ने भारतीय खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय सितारों के साथ खेलने का मौका दिया, जिससे यकीनन उनका आत्मविश्वास बढ़ा है।
इन टी20 लीग ने खिलाड़ियों की आर्थिक स्थिरता को सुधारने के साथ प्रोफेशनल माहौल भी तैयार किया। यही वजह रही कि क्रिकेट अब महिला क्रिकेट के लिए केवल जुनून नहीं रह गया, बल्कि एक करियर विकल्प बन गया। इन लीग में खिलाड़ियों को बेहतरीन कोचिंग, फिटनेस रूटीन और रणनीतिक सोच सीखने को मिली। इसके साथ ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने भी अपनी महिला खिलाड़ियों को भरपूर समर्थन दिया।
भारत के महिला विश्व कप खिताब जीतने का सकारात्मक प्रभाव यकीनन भविष्य में देखने को मिलेगा। आने वाले वर्षों में यह सफलता और नई ऊंचाइयां छूने की प्रेरणा बनेगी। यह खिताब भारतीय महिला क्रिकेट की तस्वीर और तकदीर को बदलने में कारगर साबित हो सकता है।