क्या बिहार में एनडीए के शासनकाल की तुलना आवश्यक है?

सारांश
Key Takeaways
- अर्जुन मुंडा का मानना है कि एनडीए का शासनकाल बिहार की प्रगति में महत्वपूर्ण है।
- बिहार में बुद्ध की भूमि का महत्व वैश्विक स्तर पर बढ़ा है।
- जनता को एनडीए पर विश्वास है कि यह बिहार को और विकसित करेगा।
- उपराष्ट्रपति चुनाव में सी पी राधाकृष्णन की जीत पर एनडीए को बधाई।
- राज्यपाल के अनुभव से राधाकृष्णन को संसद में लाभ होगा।
पटना, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने आगामी विधानसभा चुनाव के संबंध में कहा कि चुनाव तो चुनाव होता है। सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी बात रखेंगे। लेकिन एनडीए पूरी तरह से जीत के लिए आश्वस्त है।
पटना में मीडिया से बातचीत करते हुए भाजपा नेता अर्जुन मुंडा ने कहा कि बिहार बुद्ध की भूमि है। यहां से दुनिया को समझने का एक अनूठा अवसर मिलता है। लेकिन बिहार में एनडीए के पहले और वर्तमान शासनकाल का मूल्यांकन तभी सही होगा जब इसकी तुलना की जाएगी।
एनडीए सरकार ने बुद्ध के बिहार को वैश्विक स्तर पर अपनी प्राचीन संस्कृति को फिर से प्रस्तुत किया है। इस सरकार ने अपने कार्यों और शासन के जरिए यहां के लोगों के लिए विभिन्न स्तरों पर कार्य करके दिखाया है। शासन के माध्यम से जनता के बीच कार्य करने का यह एक अद्वितीय उदाहरण है।
उन्होंने आगे कहा कि जनता भी एनडीए को लेकर आश्वस्त है कि बिहार को और प्रगति कैसे मिले, यह सुनिश्चित करेगी। उपराष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सी पी राधाकृष्णन की जीत पर उन्होंने कहा कि एनडीए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उपराष्ट्रपति का चुनाव जीता है।
उन्होंने राधाकृष्णन को एक शालीन और समझदार व्यक्ति बताकर कहा कि उनका चयन राज्यसभा के लिए लाभकारी होगा।
उन्होंने कहा, "देश को एक अच्छा उपराष्ट्रपति मिला है। मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता हूं, क्योंकि वे झारखंड के राज्यपाल भी रह चुके हैं। उनके विचारों को समझने का मुझे अवसर मिला है। मैं उन्हें और प्रधानमंत्री को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।"