क्या बिहार में एनडीए सरकार बनेगी? ओवैसी से महागठबंधन को लाभ नहीं होगा: ज्ञानेश्वर पाटिल

सारांश
Key Takeaways
- बिहार में एनडीए की वापसी की संभावना
- महागठबंधन का कमजोर आधार
- सेक्युलर वोटों का महत्व
- राजनीतिक मजबूरियों का असर
- विकास और स्थिरता की प्राथमिकता
बुरहानपुर, ४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की है। एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष और बिहार में पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल ईमान ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू यादव को पत्र लिखकर महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है। इस पर भाजपा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने महागठबंधन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बिहार में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनेगी। असदुद्दीन ओवैसी से महागठबंधन को कोई लाभ नहीं मिलने वाला।
ज्ञानेश्वर पाटिल ने कहा कि ओवैसी चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, कुछ नहीं होने वाला। बिहार में फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनेगी। प्रदेश की जनता अब समझ चुकी है कि विकास और स्थिरता की गारंटी सिर्फ एनडीए ही दे सकता है।
राजद को घेरते हुए पाटिल ने कहा कि लालू यादव की पार्टी अंदर से कमजोर हो गई है। एआईएमआईएम का समर्थन उन्हें कोई असली ताकत नहीं देगा। उन्होंने इसे 'राजनीतिक मजबूरी का गठबंधन' बताया और कहा कि यह जनता के बीच प्रभाव नहीं डाल पाएगा। बिहार की जनता अब पुरानी जातिवादी और तुष्टिकरण की राजनीति में नहीं फसने वाली है। वे विकास और सुशासन को प्राथमिकता देते हैं, जो केवल एनडीए द्वारा संभव है। एनडीए की सरकार एक बार फिर सत्ता में लौटेगी। एआईएमआईएम की चिट्ठी या लालू का गठबंधन, इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
आपको बताना चाहते हैं कि ओवैसी की पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया ब्लॉक में शामिल होने की इच्छा जताई है। बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने इस संदर्भ में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को पत्र लिखकर महागठबंधन में शामिल करने की मांग की है।
अख्तरुल ईमान ने लालू यादव को लिखे पत्र में यह उल्लेख किया कि बिहार की राजनीति में हमारी पार्टी २०१५ से सक्रिय भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि चुनाव में सेक्युलर वोटों का बंटवारा न हो। हम मानते हैं कि सेक्युलर वोटों का विभाजन सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता में आने का अवसर देता है। इसी को ध्यान में रखते हुए एआईएमआईएम महागठबंधन में शामिल होना चाहती है। हालांकि, यह पहले सफल नहीं हो पाया, लेकिन अब २०२५ में विधानसभा चुनाव से पहले हमारी पार्टी चाहती है कि हमें महागठबंधन में शामिल किया जाए।
उन्होंने विश्वास जताया कि अगर सभी दल मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो सेक्युलर वोटों का विभाजन रोका जा सकता है और बिहार में महागठबंधन की सरकार बनेगी।